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प्रदूषण हमारे बच्चों को कमजोर कर रहा है

वायु प्रदूषण के कारण हर घंटे एक मौत हो रही है. हर तीसरे बच्चे के फेफड़े कमजोर हैं.

Debobrat Ghose

बीती सदी के हैजा, मलेरिया और टीबी जैसी महामारियों निपटने के लिए एंटीबॉयोटिक्स और टीके बन चुके हैं. लेकिन अब खतरा हमारी सांसों से अंदर घुस रहा है. पिछले कुछ सालों में हवा में फैला प्रदूषण हमारे लिए सबसे बड़े खतरे के रुप में उभरा है.

पहली बार वायु प्रदूषण जानलेवा स्तर तक पहुंच चुका है. याद करें दिवाली के बाद दिल्ली की स्थिति को. फिर भी हम इस समस्या के समाधान का प्रयास करने के लिए तैयार नहीं हैं. सर्दी बढ़ने के साथ प्रदूषण और गंभीर हो सकता है.


पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से जारी होने वाले नोटिफिकेशन के बाद हालात बदलने की उम्मीद की जा रही है. यह नोटिफिकेशन ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ को लागू किए जाने को लेकर है.

वायु गुणवत्ता सूचकांक यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) पर आधारित यह योजना प्रदूषण के कारण आपात स्थितियों से निपटने के बारे में है. इस कार्ययोजना को समझने और इसके असर को जानने के लिए फ़र्स्टपोस्ट के संवाददाता देबब्रत घोष ने सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की कार्यकारी निदेशक (रिसर्च एंड एडवोकेसी) अनुमिता रायचौधरी से बात की. सीएसई इस योजना को बनाने में हिस्सेदार है.

फ़र्स्टपोस्ट: ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान आखिर है क्या?

जवाब: पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को दिल्ली-एनसीआर के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को अधिसूचित करने को कहा, और ऐसा होता है तो सरकार को इसे जल्द से जल्द लागू करना पड़ेगा. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सीएसई और अन्य एजेंसियों ने मिलकर इस योजना को तैयार किया है.

इसमें एक्यूआई आधारित प्रदूषण के एक निश्चित स्तर पर पहुंचने पर उससे निपटने की विस्तृत योजना है.

प्रदूषण के कई स्तर होते हैं: सामान्य, खराब, बहुत खराब, गंभीर और सबसे ऊपर आपातकालीन स्तर. खराब स्तर के प्रदूषण के लिए सुझाए गए उपाय पूरे साल लागू किए जाने होंगे.

इसमें सबसे खराब हालात के लिए अपनाए जाने वाले उपायों को सालभर लागू करना होगा. जिन महीनों में प्रदूषण बढ़ने का खतरा रहता है उनमें खासतौर पर निगरानी रखने की जरुरत पड़ती है.

हमारे देश में लागू होने वाली यह योजना अपने तरह की अनोखी होगी. इससे हमें प्रदूषण का स्तर बढ़ने से रोकने में मदद मिलेगी.

फ़र्स्टपोस्ट: इसमें प्रदूषण के विभिन्न स्तरों के अनुरूप किन उपायों की अनुशंसा की गई है?

जवाब: एक्यूआई आधारित प्रदूषण स्तर के लिए कई तरह के उपाय सुझाए गए हैं.

ईंट भट्टों और कोयला आधारित संयंत्रों को बंद करना. गैस आधारित बिजली संयंत्रों में अधिकतम उत्पादन. मशीनों के जरिए सड़कों की सफाई और पानी का छिड़काव. डीजल और केरोसिन चालित जेनरेटरों को बंद करना.

भवन निर्माण कार्यों, और दिल्ली में ट्रकों (जरूरी सामग्री ढोने वाले ट्रकों को छोड़कर) के प्रवेश पर रोक. प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर रोक. कूड़ा-करकट को जलाए जाने पर प्रतिबंध जैसे उपाय शामिल हैं

फ़र्स्टपोस्ट: दिवाली के तुरंत बाद प्रदूषण के कारण दिल्ली में आपातकालीन स्थिति बनती दिखी थी. सर्दियों की शुरुआत के साथ एक बार फिर हवा खराब होने लगी है.

जवाब: सर्दियों के मौसम में शांत हवा धरती की सतह के पास ठहरी रहती है. उसी के साथ शहर में मौजूद प्रदूषण भी ठहर जाता है.

इस बार की सर्दियों में भी हम प्रदूषण स्तर को तेजी से बढ़ते देख रहे हैं. हमें कई बार स्मॉग वाली स्थिति से गुजरना पड़ेगा. इस तरह के हालात फरवरी तक बने रह सकते हैं.

इसमें उतार-चढ़ाव भी देखने को मिलेगा. प्रदूषण हर बार खतरे ने निशान से ऊपर पहुंचेगा.

फ़र्स्टपोस्ट: प्रदूषण के इस प्रकोप से बचने के लिए किस तरह के उपाय किए जाने की आवश्यकता है?

जवाब: हमें सर्दियों के लिए आपातकालीन उपाय तैयार रखने चाहिए जिन्हें कड़ाई से लागू करना होगा. ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू करने से सुनिश्चित हो सकेगा कि प्रदूषण के हालात ज्यादा खराब न हो. हर स्तर के प्रदूषण के लिए सुझाए गए उपायों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए.

फ़र्स्टपोस्ट: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के हालात इतने खराब होने की क्या वजह हैं?

जवाब: वाहनों से होने वाला प्रदूषण, कूड़े को जलाया जाना, भवन निर्माण से जुड़े मलबे, कोयला आधारित बिजली संयंत्रों का प्रदूषण, धूल, फसल की खूंटियों का जलाया जाना आदि मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं.

हालांकि खेतों में फसल की खूंटियों को जलाया जाना एक अस्थाई कारण है. क्योंकि ऐसा नई फसल की बुवाई से पहले अक्टूबर-नवंबर में ही होता है.

फ़र्स्टपोस्ट: कमी कहां है और क्या किया जाना चाहिए?

जवाब:  शहर में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने के लिए साधन बनाने में हम बहुत पीछे छूट गए हैं. मेट्रो रेल के अलावा इसमें कोई निवेश नहीं हुआ है.

अब एक एकीकृत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. जिसमें मेट्रो और बस सेवा में एक ही टिकट से यात्रा की जा सके.

पैदल और साइकिल से चलने वालों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हों. ऑड-इवन स्कीम एक आपातकालीन उपाय है और यह स्थायी समाधान नहीं हो सकता.

दिल्ली-एनसीआर के अलावा अन्य राज्यों को भी कार्ययोजना के इसी प्रारूप को कठोरता से लागू करना चाहिए. व्यवस्थित तरीके से काम नहीं हो रहा है. जब किसी योजना में देरी होती है तो हम आपा खो देते हैं.

हमें बहुत सतर्क रहने की जरूरत है. हमें सर्दियों के बाद भी प्रदूषण कम करने की गति बनाए रखनी होगी.

फ़र्स्टपोस्ट: दिल्ली के बच्चे प्रदूषण के कारण अल्हड़ बचपन से महरूम हैं?

जवाब: बिल्कुल सही. वायु प्रदूषण के कारण हर घंटे एक मौत हो रही है. हर तीसरे बच्चे के फेफड़े कमजोर हैं. उन्हें घर के भीतर रहने की सलाह दी जा रही है. बच्चों को घर से बाहर किसी खेल में भाग लेने से मना किया जाता है.

फ़र्स्टपोस्ट: दिल्ली के प्रदूषण को अलग कर नहीं देखा जा सकता है. इसे रोकने के लिए राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों में सक्रिय सहयोग की दरकार है. क्या प्रदूषण नियंत्रण से संबद्ध कोई प्राधिकरण है जो अंतरराज्यीय मामलों से जुड़े मामलों और प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े उपायों के कार्यान्वयन को देख सके?

जवाब: नहीं, नहीं है. बल्कि इसकी जरूरत भी नहीं है. संपूर्ण प्रक्रिया पर निगरानी रखने के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पहले से हैं.

इससे आगे राज्य सरकारों को प्रदूषण रोकने के उपायों को लागू करना चाहिए. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इसके लिए पहल करनी होगी.