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दिल्ली में डीजल जनरेटर भी बैन, खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण

पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 17 जनवरी 2017 को नोटिफाई किए गए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत वायु प्रदूषण में दिल्ली के ज्यादातर इलाकों की हालत बद से बदतर हो गई है

FP Staff

दिल्ली में बढ़ते वायू प्रदूषण को देखते हुए कई कड़े कदम उठाए जा रहे हैं. पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 17 जनवरी 2017 को नोटिफाई किए गए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत वायु प्रदूषण में दिल्ली के ज्यादातर इलाकों की हालत बद से बदतर हो गई है. पिछले कुछ महीनों में दिल्ली का प्रदूषण सामान्य और खराब की श्रेणी से बहुत खराब और खतरनाक श्रेणी में पहुंच चुका है.

अब प्रदूषण हाफ इमरजेंसी के स्तर पर पहुंच चुका है. इसे देखते हुए बदरपुर स्थित थर्मल पावर प्लांट बंद कर दिया गया है. यह अगले साल 15 मार्च तक बंद रहेगा. पर्यावरण प्रदूषण प्रिवेंशन और कंट्रोल अथॉरिटी (EPCA) ने कहा है कि 20 जुलाई 2018 को यह प्लांट स्थायी रूप से बंद कर दिया जाएगा. ऐसा दिल्ली में बढ़ते पॉल्यूशन को देखते हुए किया जा रहा है.


राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में जिग जैग टेक्नोलॉजी (इससे साफ हवा बाहर निकलती है) का इस्तेमाल नहीं करने वाले ईंट के भट्ठे भी बंद कर दिये जाएंगे. शादी सीजन से ऐन पहले दिल्ली में डीजल से चलने वाले जनरेटर सेट भी बंद कर दिये गए हैं. जनरेटरों का इस्तेमाल अस्पताल जैसी अनिवार्य सेवाओं के लिए ही किया जा सकता है. हालांकि एनसीआर के बाकी क्षेत्रों में फिलहाल जनरेटरों का इस्तेमाल जारी रहेगा. ईपीसीए ने कहा कि इन क्षेत्रों बिजली सप्लाई अक्सर प्रभावित रहती है.

ईपीसीए की सदस्य सुनिता नारायण ने कहा, 'इन कदमों का मकसद है कि प्रदूषण पिछले साल की तरह खतरनाक स्तर पर न पहुंच सके. पिछले साल के प्रदूषण को पब्लिक हेल्थ के लिए इमरजेंसी करार दिया गया था.' 5 नवंबर 2016 को पीएन2.5 बढ़कर 837.7 हो गया था. जबकि इसका स्टैंडर्ड स्तर 60 है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सचिव सुधाकरण ने बताया कि आगामी 20 और 21 अक्टूबर को दिवाली के बाद यूपी से आने वाला दिवाली का धुआं और हरियाणा और पंजाब से पराली जलाने की वजह से आने वाले धुएं की वजह से प्रदूषण का स्तर और बढ़ जाएगा.

आगामी हफ्तों में दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को जांचने के लिए 16 और मॉनिटरिंग स्टेशन बनाए जाएंगे. अभी भी दिल्ली देश के सबसे ज्यादा मॉनिटर किए जाने वाले शहरों में से एक है. यहां फिलहाल 32 स्टेशन कार्यरत है. ईपीसीए के चेयरमैन भूरे लाल ने दिल्ली में रात के समय एंटर होने वाली ट्रकों का निरीक्षण भी किया है. ताकि यह पता किया जा सके कि उनमें से कितने दिल्ली के लिये ही चले थे. उन्होंने कहा कि जो ट्रक दिल्ली के लिए नहीं चले थे उन्हें वापस लौटा दिया गया.

ईपीसीए ने रोड और निर्माण कार्य की वजह से उड़ने वाली धूल का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि हरियाणा और पंजाब में पराली जलाना भी प्रदूषण के लिए ये बड़ी समस्या है. उन्होंने कहा कि किसानों के पास अपने खेत को नई फसल के लिए तैयार करने के लिए सिर्फ 20-25 दिनों का वक्त होता है. ऐसे में किसानों के लिए पराली जलाना सबसे आसान तरीका होता है.

( साभार: न्यूज 18 से आराधना वल की रिपोर्ट )