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#DelhiDoesn'tCare: पटाखों पर सारी जिम्मेदारी फोड़कर प्रदूषण के संकट से नहीं निपटा जा सकता

यह एक ऐसी समस्या है जिससे आप कानून के जरिए नहीं निपट सकते. जागरूकता सबसे अहम और जरूरी चीज है.

Abhishek Tiwari

पिछले कुछ सालों से दिल्ली में दिवाली की अगली सुबह बेहद जहरीली होती है. कारण होता है, हवा की खराब गुणवत्ता. हर साल की तरह इस बार भी दिल्ली-एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद खराब है. इस बार स्थिति ज्यादा भयावह है. दिवाली के दिन पटाखे जलाने का सीधा असर पर्यावरण पर होता है. गुरुवार सुबह चारों ओर धुआं-धुआं ही दिख रहा है. कई इलाकों में विजिबिलिटी काफी कम हो गई है. आसमान स्मॉग की चादर में लिपटा हुआ है.

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा जलाने के लिए रात 8 से 10 बजे तक की समय सीमा तय की थी. इसके बावजूद लोग किसी चीज की परवाह किए बगैर पटाखे जलाते रहे. इसका असर हमें देखने को मिल रहा है. दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स गुरुवार सुबह आनंद विहार में 999 दर्ज किया गया है. यह बेहद ही खराब की श्रेणी में आता है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, दिवाली वाली रात को सवा ग्यारह से साढ़े ग्यारह बजे के बीच नॉर्थ कैंपस के आसपास पीएम 2.5 का स्तर 2000 को पार कर गया था और पीएम 10 का लेवल 2409 दर्ज किया गया.


यह तो रही इस बार की दिवाली की बात. पिछले साल भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री और फोड़ने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी. फिर भी लोगों ने पटाखे जलाए. 2017 में दिवाली की अगली सुबह एयर क्वालिटी इंडेक्स 326 था और 2015 में 327 था. आप सोच रहे होंगे कि मैंने इसमें दो साल का ही डेटा क्यों दिया? 2016 का डेटा नहीं.

2016 की दिवाली की अगली सुबह जब दिल्ली वाले जगे तो उन्होंने अपने आस पास एक धुएं का गुबार देखा. इसी के बाद ही इस विमर्श ने तेजी पकड़ा कि दिवाली के रोज पटाखे जलाने से दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो जा रही है. इस पर पाबंदी की जरूरत है. 2016 में दिवाली के अगले दिन दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 426 पर था. 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर दिल्ली-एनसीआर में बैन लगा दिया. 2017 में दिवाली के अगले रोज एयर क्वालिटी इंडेक्स 326 था. जबकि बैन के बावजूद लोगों ने अच्छी खासी मात्रा में पटाखे जलाए थे.

अब 2018 पर आते हैं. इस बार सुप्रीम कोर्ट के संशोधित बैन का ज्यादा असर देखने को मिले. पटाखे 2017 से भी कम मात्रा में फोड़े गए. लेकिन इस बार दिवाली के अगले रोज यानि आज का अलग-अलग जगहों पर रिकॉर्ड किया गया प्रदूषण लेवल पिछले साल की तुलना में ज्यादा खराब दिख रहा है.

दिल्ली के आनंद विहार इलाके में प्रदूषण का लेवल 999 दर्ज किया गया. इसके अलावा दिल्ली के अन्य इलाकों शाहदरा, पटपड़गंज, ओखला और सर अरविंदो मार्ग पर दिवाली के अगले दिन एक्यूआई 990, 999, 893 और 795 के स्तर पर है. इससे साफ जाहिर होता है कि पाबंदी के बावजूद हालात सुधरे नहीं हैं बल्कि और बदतर हुए हैं.

कानून से ज्यादा जागरूकता की जरूरत

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगाई थी. दिवाली के बाद 2016 के मुकाबले 2017 की आबोहवा थोड़ी ठीक रही. इस बार भी सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कई कदम उठाए थे, जिससे पर्यावरण पर असर कम से कम पड़े. पटाखे जलाने के लिए एक तय समय-सीमा, ग्रीन पटाखों की बिक्री और केवल लाइसेंस वाली दुकान पर पटाखा बेचने की अनुमति ये कोर्ट के फैसलों में थे. एक हद तक लोगों ने इसका पालन भी किया.

हालांकि तय समय-सीमा के बाद दिल्ली एनसीआर में पटाखे चले लेकिन इसकी मात्रा बेहद कम रही. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को एक हद तक लोगों ने माना और पिछली बार की तरह इस बार गुस्से में ज्यादा पटाखे नहीं फोड़े गए. इसके पीछे एक कारण जागरूकता की भी है. हो सकता है कि आने वाले समय में कोर्ट को आदेश नहीं देना पड़े और लोग अपनेआप ही पर्यावरण के प्रति सचेत रहें.

अब बात करते हैं एक विशेष दिन दिवाली की, जिसके कारण पूरे दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा खराब हो जाती है! 2016 में दिवाली के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स 426 था. उस समय सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन नहीं लगाया था. 2017 में बैन लगा तो एक्यूआई 326 पर पहुंचा और इस बार संशोधित पाबंदी है तो कई इलाकों का लेवल 900 से भी ज्यादा है. आंकड़ों से समझें तो 2017 में पटाखों पर लगे बैन का असर तो दिखा लेकिन इस साल नहीं. इसको इस तरह से भी देख सकते हैं कि प्रदूषण के स्तर के लिए सिर्फ पटाखों को जिम्मेदार ठहराया जाना थोड़ा जल्दबाजी में निर्णय पर पहुंचना होगा. इसका मतलब यह कतई नहीं हुआ कि अंधाधुंध पटाखे फोड़ने की अनुमति मिले.

दिवाली से पहले सोमवार को एक्यूआई 700 के पार था

दिवाली से दो दिन पहले यानी सोमवार को दिल्ली का एक्यूआई 700 पार था. उस दिन किसी ने पटाखे भी नहीं जलाए थे. इन तमाम आंकड़ों को देने के पीछे की मंशा बेहद साफ है. दिल्ली के प्रदूषण और जहरीली हवा के लिए दिवाली के साथ-साथ बाकी के कारण भी जिम्मेदार हैं. जैसे दो साल से पटाखा न जलाने को लेकर जागरूक किया जा रहा है, वैसे ही अन्य चीजों के मामले में भी करना होगा. नहीं तो ऐसा भी हो सकता है कि दिल्ली में बगैर पटाखा जलाए ही आने वाले समय में एक्यूआई हजार हो जाए.

दिल्ली देश की राजधानी है. हम उम्मीद करते हैं कि यहां पर देश के बाकी शहरों से सुविधाएं अच्छी होंगी. पूरे विश्व के प्रतिनिधि इसी शहर में रहते हैं. दिल्ली जैसी होगी, वैसी ही छवि देश की बाहर बनेगी. ग्रीन दिवाली का मैसेज लोगों पर असर कर रहा है. वे जागरूक हो रहे हैं लेकिन आम जनता के साथ-साथ नेताओं को भी अपनी जिम्मेदारियां तय करनी होगी.

पराली जलाने की समस्या के लिए भी आस-पास के राज्यों से सरकार को मिलकर निपटना होगा. हमें सोचना होगा कि दिवाली के अलावा वो और कौन से कारक है जो हमारी हवा को जहरीली बना रहे हैं. सरकार को इसे एक जन आंदोलन बनाना होगा. प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कड़ाई से निपटने की व्यवस्था करनी होगी.

अन्य विकसित देशों की तरह ही गाड़ियों के लिए कानून बनाना होगा. राजधानी की पब्लिक ट्रांसपोर्ट को विश्व स्तर का करना होगा और लोगों से प्राइवेट ट्रांसपोर्ट को ना कहने के लिए जागरूक करना होगा. यह एक ऐसी समस्या है जिससे आप कानून के जरिए नहीं निपट सकते. जागरूकता सबसे अहम और जरूरी चीज है.