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दिल्ली: मोहल्ला क्लीनिकों से मरीजों को राहत, डॉक्टरों को सता रहा सुरक्षा का डर

दिल्ली में मरीज मोहल्ला क्लीनिक के काम से संतुष्ट हैं लेकिन डॉक्टर और उनके स्टाफ के लोगों को काफी समस्याएं हैं.

FP Staff

दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक मरीजों के लिए एक वरदान बनकर उभरे हैं लेकिन अगर डॉक्टरों की बात करें तो उनके लिए यह एक बड़ी समस्या भी है. न्यूज 18 के मुताबिक 29 साल की सोना को जब भी डॉक्टर की जरूरत होती है तो वह दिल्ली के भरमपुरी से नांगल राया मोहल्ला क्लीनिक जाती हैं. यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां खुली नालियां हैं, कचड़े का ढेर है और संकरी गलिया हैं.

यहां जीपीएस भी काम नहीं करता. करीब 80 मरीज हरदिन यहां अपना इलाज करवाने आते हैं. हर मोहल्ला क्लीनिक में एक डॉक्टर है, एक टैक्नीशियन है जोकि मरीजों की आधार से जुड़ी जानकारी लेता है और एक लैब असिस्टेंट है जो लोगों के ब्लड सैंपल लेता है और उन्हें दवाई देता है. यह क्लीनिक सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक काम करते हैं.


मोहल्ला क्लीनिक दिल्ली सरकार की प्रमुख योजना है. 2015 में सरकार बनने के बाद आम आदमी पार्टी ने 1000 मोहल्ला क्लीनिक बनाने का वादा किया था लेकिन अभी केवल 160 क्लीनिक ही चल रहे हैं. हालांकि मरीज मोहल्ला क्लीनिक के काम से संतुष्ट हैं लेकिन डॉक्टर और उनके स्टाफ के लोगों को काफी समस्याएं हैं.

मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों को सता रहा सुरक्षा का डर

दिल्ली के पांडव नगर मोहल्ला क्लीनिक में करीब 150 मरीज रोज आते हैं. इसलिए डॉक्टर प्रीति सक्सेना को अपनी सुरक्षा की चिंता होती है. उनका कहना है कि कई बार मरीज गलत व्यवहार करते हैं. कुछ दिन पहले ही उनके सहायक को एक मरीज के साथ आए शख्स ने थप्पड़ मार दिया था. इस घटना के अगले दिन एक मरीज ने उनके साथ भी गलत व्यवहार किया था और उन्हें पुलिस बुलाना पड़ा था.

मामला केवल एक डॉक्टर के साथ नहीं है. डॉ वी एस चौहान ने बताया कि हमारे पास कोई सुरक्षा नहीं है, कई लोग हमारे साथ गलत व्यवहार करते हैं. कई बार वह गुंडागर्दी पर उतर आते हैं, उस समय पुलिस बुलाने के अलावा हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता.

वहीं दक्षिणी दिल्ली में आश्रम मोहल्ला क्लीनिक में करीब 140 मरीज रोज आते हैं लेकिन बाकी क्लीनिकों की अपेक्षा यहां केवल एक ही कमरा है. जगह की कमी होने के बावजूद मुफ्त दवाइयों और चैक-अप की वजह से मरीज यहां आ जाते हैं.

सैलरी में देरी और स्टाफ की कमी

मोहल्ला क्लीनिक में काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी में काफी देर हो जाती है. यहां काम करने के हिसाब से सैलरी मिलती है. डॉक्टरों को 30 रुपए प्रति मरीज, टैक्नीशियन और लैब असिस्टेंट को क्रमश: 8 रुपए और 2 रुपए प्रति मरीज दिए जाते हैं.

8 रुपए और 2 रुपए प्रति मरीज पाने वाले कर्मचारियों का कहना है कि इन रुपयों में उनका घर चलाना मुश्किल है. कई मोहल्ला क्लीनिकों में मरीजों की संख्या बहुत कम है जिससे वहां काम करने वालों का वेतन 1500 रुपए से 3000 रुपए महीना ही बनता है.

मोहल्ला क्लीनिकों में दवाइयों की भी बहुत कमी रहती है. हालांकि डॉक्टर्स दवाइयों की कमी को नकारते हैं लेकिन पांडव नगर और आश्रम मोहल्ला क्लीनिकों के डॉक्टरों ने यह बात मानी की दवाइयां आने में देरी होती है.

डॉक्टरों का कहना है कि हम किसी भी मरीज को बिना दवाई के वापस नहीं भेज सकते. डॉक्टर्स का कहना है कि उन्हें कॉनट्रैक्ट के आधार पर रखा गया है इसलिए वह शिकायत करने से भी डरते हैं. क्योंकि अगर यह मुद्दा मीडिया में आया को उसका राजनीतिकरण होने में वक्त नहीं लगेगा.