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अतुल जौहरी नहींं बन सकते गर्ल्स हॉस्टल के वॉर्डन: दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को तय की गई है

FP Staff

यौन उत्पीड़न के आरोपी जेएनयू के प्रोफेसर अतुल जौहरी के मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं. हाई कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) को निर्देश देकर विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर पर लगे कथित कदाचार के आरोपों की जांच करने और उन्हें निलंबित करने के संबंध में फैसला लेने को कहा है. इस प्रोफेसर पर छात्राओं के यौन उत्पीड़न का आरोप है.

याचिका दायर करने वाली छात्राओं से संपर्क नहीं कर सकते प्रोफेसर


अदालत ने कहा कि अगर प्रथम दृष्टया में कदाचार की बात सामने आती है, तो आईसीसी को विश्वविद्यालय के कुलपति को उपयुक्त अनुशंसाएं भेजनी चाहिए और तीन हफ्ते के भीतर अदालत में एक रिपोर्ट भी दाखिल करानी चाहिए. जस्टिस राजीव शकधर ने प्रोफेसर अतुल जौहरी को विश्वविद्यालय परिसर के किसी भी गर्ल्स हॉस्टल के वॉर्डन का प्रभार नहीं लेने का निर्देश दिया है और याचिका दायर कराने वाली छात्राओं और संभावित प्रत्यक्षदर्शियों से संपर्क नहीं करने को कहा है.

अदालत ने निर्देश दिया, 'संपर्क करने की स्थिति में, कुलपति प्रोफेसर को पद से हटाने के बारे में विचार कर सकते हैं'. अदालत कई छात्राओं द्वारा दाखिल कराई गई एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रोफेसर को निलंबित करने और परिसर में प्रवेश नहीं देने की मांग की गई. प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न के आरोप में आठ एफआईआर दर्ज कराई गई हैं.

न्यायधीश ने फिल्हाल मामला आईसीसी पर छोड़ा

इस याचिका में छात्र - छात्राओं के लिए सुरक्षित कार्य माहौल उपलब्ध कराने के लिए भी कहा है. अदालत के कई निर्देशों में से एक में याचिका दायर कराने वाली चार छात्राओं को अलग-अलग पर्यवेक्षक देने को भी कहा गया है जो पीएचडी कर रही हैं. अदालत ने प्रोफेसर को लाइफ साइंसेज विभाग के लैब नम्बर 409 में नहीं जाने को कहा है जहां ये छात्राएं काम करती हैं. जौहरी को काम पड़ने की स्थिति में दूसरी प्रयोगशाला देने के लिए कहा गया है. न्यायाधीश ने कहा, 'इस वक्त मैं आईसीसी पर छोड़ता हूं कि वह मामले को देखे और उसपर निर्णय करें. मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को तय की गई है.