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कमजोर तबके के बच्चों को इंग्लिश सिखाने के लिए दिल्ली सरकार की अनोखी मुहिम

छोटी उम्र में ही बच्चों को इंग्लिश सिखवाने के लिए विशेष कक्षाओं की व्यवस्था की गई है

FP Staff

इंग्लिश बोलना केवल शौक नहीं है बल्कि यह एक जरूरत है. लेकिन अब तक इंग्लिश सिखाने के लिए गलत तरीकों का प्रयोग होता रहा है.

इस बार गर्मियों की छुट्टियों में छोटे तबकों से आने वाले बच्चों को इंग्लिश सिखाने के लिए दिल्ली सरकार ने अनोखा तरीका चुना है. 'राम रियलिस्टक', 'प्रतीक


पावरफुल', 'जयराज जॉयफुल', 'अंश एंबीसियस' ये किसी खास वर्ग के नाम नहीं हैं, बल्कि स्पीकिंग इंग्लिश की क्लास में छात्रों ने खुद को दिए हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने छोटी उम्र में ही बच्चों को इंग्लिश सिखवाने के लिए 2 जून से 30 जून के बीच ब्रिटिश काउंसिल, इंडिया-मैकमिलन एजुकेशन, एकेडमी फॉर कंप्यूटर्स ट्रेनिंग (गुजरात) और ट्रिनिटी कॉलेज लंदन सहयोग से विशेष कक्षाओं की व्यवस्था की है.

आखिर क्यों हैं अंग्रेजी सीखने की जरूरत

इंग्लिश की इन स्पेशल क्लास में टीचर, पेन और किताबें ले जाने के लिए बाध्य नहीं हैं. ब्रिटिश काउंसिल द्वारा छात्रों को स्टडी मैटेरियल दिया गया है. इसका सबसे अच्छा फायदा यह दिख रहा है कि छात्र पढ़ाई में ज्यादा मन लगा पा रहे हैं और एक दूसरे का सहयोग करते हुए सीख रहे हैं.

अंग्रेजी की वजह से बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन नहीं मिल पाता जिसकी वजह से बच्चे खुद में निराश हो जाते हैं. ट्यूशन के दौरान प्राइवेट कॉलेज के बच्चे आपस में इंग्लिश में ही बात करते हैं जिसकी वजह से इंग्लिश न बोलने वालों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है. बता दें कि दिल्ली सरकार की इंग्लिश स्पीकिंग क्लास की मुहिम से जुड़ने वाले ज्यादातर छात्र कमजोर वर्ग से हैं.

(साभार: न्यूज18)