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फर्जी ड्रग इंस्पेक्टर बनकर दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर ने 4.85 लाख ठगे

दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर ने खुद को ड्रग इंस्पेक्टर बताया और क्लिनिक के मालिक को बोला की उसकी डिग्री 'फर्जी' है. इंस्पेक्टर ने उसे ये कहकर भी डराया कि अगर उसने पैसे नहीं दिए तो उसे जेल हो जाएगी

FP Staff

दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर सहित 6 लोगों को साहिबाबाद के एक हेल्थ क्लीनिक से 4.85 लाख रुपए की उगाही के लिए नामजद किया है. पुलिसवाले ने हेल्थ क्लिनिक के मालिक के सामने खुद को फूड एंड ड्रग इंस्पेक्टर के तौर पर पेश किया. पुलिस के मुताबिक दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर ने खुद को ड्रग इंस्पेक्टर बताया और क्लिनिक के मालिक को बोला की उसकी डिग्री 'फर्जी' है. इंस्पेक्टर ने उसे ये कहकर भी डराया कि अगर उसने पैसे नहीं दिए तो उसे जेल हो जाएगी.

चार लोगों को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया था. और पुलिस ने दिल्ली पुलिस को चिट्ठी लिखकर इस घटना में उनके सहकर्मी की संलिप्तता के बारे में पूछा. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान रविंद्र, प्रीतम सिंह, कपिल और कमल के रुप में की गई है. दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर राज कुमार और एक और अभियुक्त संजीव अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ है. हालांकि राम पार्क में रहने वाले क्लिनिक का मालिक महानंद सिंह (42) के साथ 13 सितम्बर को धोखाधड़ी हुई थी, लेकिन इस घटना की रिपोर्ट उसने 26 सितम्बर को दर्ज कराई.


दोस्त ने ही दिया धोखा:

साहिबाबाद के सर्किल ऑफिसर आर के मिश्रा के अनुसार 'महानंद सिंह से पैसे ऐंठने की प्लानिंग उसके दोस्त और पड़ोसी रविंद्र द्वारा की गई थी. महानंद ने हाल ही में 20 लाख रुपए में अपनी जमीन बेची थी जिसकी जानकारी रविंद्र को थी. उसने अपने दोस्त प्रीतम को बताया.'

इसके बाद प्रीतम ने दिल्ली के शाहदरा स्थित अपने प्रॉपर्टी डीलर दोस्त कपिल और इंस्पेक्टर राज कुमार से बात की. 13 सितम्बर की शाम राजकुमार महानंद के क्लिनिक पर ड्रग इंस्पेक्टर बनकर गया और उसके क्लिीनिक और घर में छापा मारा और उसके एजुकेशन सर्टिफिकेट को 'सीज' कर लिया. राजकुमार ने महानंद से फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर क्लिनिक चलाने के एवज में 20 लाख रुपए की मांग की. लेकिन 4.85 लाख रुपए लेकर चला गया और 5 लाख अगले इंस्टालमेंट में देने की हिदायत दे गया.

इस पूरी घटना के दौरान रविंद महानंद के साथ उसका हितैषी बनकर खड़ा रहा, और वो लोग जैसा कह रहे हैं वैसा करने के लिए कहा. जब महानंद ने बाद में उनकी खोजबीन की तो पता चला की उसे ठगा गया है. हालांकि तब भी उसे ये पता नहीं था कि इस पूरी घटना का चाणक्य उसका दोस्त ही है.