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प्रशासनिक लापरवाही खा रही है मसूरी की ख़ूबसूरती, डंपिंग जोन बन गए हैं पहाड़

मसूरी की डीएफओ के अनुसार आरक्षित वन क्षेत्र में विभाग बहुत सख़्ती से कार्रवाई करता है लेकिन बाकी ज़मीन पर उसके अधिकार सीमित हैं.

FP Staff

मसूरी की हरियाली पूरी तरह से खतरे में पड़ गई है. शहर के वन क्षेत्र अवैध डंपिंग ज़ोन बन गए हैं जिससे हरे-भरे पेड़ों को ख़तरा पैदा हो गया है लेकिन वन विभाग जंगल में मलबा डालने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है. देश की सर्वोच्च अदालत ने 1988 में एक मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया था. कमेटी को मसूरी के पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन जंगल को तबाह करने वाले लोग सर्वोच्च अदालत के आदेश की भी परवाह नहीं कर रहे हैं. रोज़ औसतन 70 टन मलबा जंगल में फेंका जा रहा है जिससे प्राकृतिक सुंदरता तो ख़राब हो ही रही पर्यावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है.

पहाड़ों की रानी कहा जाने वाला मसूरी शहर पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से एक है. पर्यटन से यहां लोगों की रोज़ी-रोटी चलती है. इसलिए स्थानी लोग भी चिंतित हैं. वह इसे संबंधित विभागों की लापरवाही बताते हुए पूछते हैं चारों ओर कूड़ा और मलबा देखकर पर्यटकों पर क्या असर पड़ेगा? खूबसूरती ही नहीं रहेगी तो पर्यटक मसूरी आएगा क्यों?


इस संबंध में सवाल पूछे जाने पर मसूरी की डीएफओ कहकशां नसीम का जवाब साफ़ कर देता है कि विभागों की खींचतान में फंसी इस समस्या का हल आसान नहीं है. वह कहती हैं कि आरक्षित वन क्षेत्र में विभाग बहुत सख़्ती से कार्रवाई करता है लेकिन बाकी ज़मीन पर उसके अधिकार सीमित हैं.

हालांकि कहकशां नसीम दावा करती हैं कि जब भी इस तरह का कोई मामला सामने आता है तब वह राजस्व विभाग और एमडीडीए से उचित कार्रवाई करने के लिए कहती हैं.

लेकिन इससे स्थानीय निवासियों के सवालों का जवाब नहीं मिलता कि बिना विभागीय मिलीभगत के मसूरी की ख़ूबसूरती, इसके पर्यावरण को नष्ट किया जा पा रहा है.

(न्यूज़18 के लिए सिलवल सुनील की स्टोरी)