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बैंक की नौकरी से चलने वाले घर में शादी न करने का फतवा

दारुल उलूम के फतवा विभाग ‘दारुल इफ्ता’ ने ये फतवा जारी किया है

Bhasha

देश के प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने अब नया फतवा जारी किया है. फतवे में कहा गया है कि बैंक की नौकरी से चलने वाले घरों में शादी का रिश्ता न जोड़ें.

दारुल उलूम के फतवा विभाग ‘दारुल इफ्ता’ ने ये फतवा जारी किया है. गुरुवार को इस बारे में दारुल उलूम से सवाल पूछा गया था. सवाल था कि क्या बैंक की नौकरी करने वाले व्यक्ति के घर में शादी का रिश्ता करना इस्लाम के हिसाब से दुरुस्त है.


एक शख्स ने पूछा था कि उसकी शादी के लिए कुछ ऐसे घरों से रिश्ते आये हैं, जहां लड़की के पिता बैंक में नौकरी करते हैं. चूंकि बैंकिंग तंत्र पूरी तरह से ब्याज पर आधारित है, जो कि इस्लाम में हराम है. इस स्थिति में क्या ऐसे घर में शादी करना इस्लामी नजरिए से दुरुस्त होगा?

इस पर दिए गए फतवे में कहा गया, ‘ऐसे परिवार में शादी से परहेज किया जाए. हराम दौलत से पले-बढ़े लोग आमतौर पर सहज प्रवृत्ति और नैतिक रूप से अच्छे नहीं होते. लिहाजा, ऐसे घरों में रिश्ते से परहेज करना चाहिए. बेहतर है कि किसी पवित्र परिवार में रिश्ता ढूंढा जाए.’

डिजाइनर बुर्कों पर भी फतवा जारी

दारुल इफ्ता ने एक अन्य फतवे में कहा है कि मुस्लिम महिलाओं को अंगों को जाहिर करने वाले डिजाइनर बुर्के पहनना सख्त गुनाह है, क्योंकि इससे वे बुरी नजर का शिकार होती हैं.

फतवे में कहा गया है कि हिजाब के नाम पर डिजाइनर और स्लिम फिट बुर्का पहनना हराम है और इस्लाम में इसकी सख्त मनाही है. बुरका ढकने के लिये है, ना कि उसे जाहिर करने के लिये.

इस्लाम में हराम माना जाता है ब्याज

इस्लामी कानून या शरीयत में ब्याज वसूली के लिये रकम देना और लेना शुरू से ही हराम माना जाता रहा है. इसके अलावा इस्लामी सिद्धांतों के मुताबिक हराम समझे जाने वाले कारोबारों में निवेश को भी गलत माना जाता है.

इस्लाम के मुताबिक धन का अपना कोई स्वाभाविक मूल्य नहीं होता, इसलिए उसे लाभ के लिये रहन पर दिया या लिया नहीं जा सकता. इसका केवल शरीयत के हिसाब से ही इस्तेमाल किया जा सकता है. दुनिया के कुछ देशों में इस्लामी बैंक ब्याजमुक्त बैंकिंग के सिद्धांतों पर काम करते हैं.