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नोटबंदी: बैंक में कतार में लगे दो बुजुर्गों की मौत

बैंकों और एटीएम में लगी लंबी कतारें जानलेवा भी साबित हो रही है...

FP Staff , IANS

नोटबंदी से त्रस्त देशवासियों का कतार में खड़े रहना जारी है. मंगलवार को भी लोग नकदी के लिए घंटों कतार में लगे रहे और इसी कतार में दो और बुजुर्गो ने दम तोड़ दिया.

पटना में मंगलवार को औरंगाबाद जिले के दाऊदनगर में बैंक से पैसे लेने आए एक बुजुर्ग की मौत हो गई. पुलिस के मुताबिक, भारतीय स्टेट बैंक की दाऊदनगर शाखा में पैसे निकालने पहुंचे 65 वर्षीय सुरेंद्र कुमार शर्मा की मौत हो गई.


अरई गांव निवासी सुरेंद्र ने रकम निकालने के लिए फॉर्म भरा और कतार में लग गए. इस दौरान यहां भारी भीड़ थी और धक्का-मुक्की भी हो रही थी. कुछ समय बाद ही उन्हें चक्कर आया और वह गिर पड़े. स्थानीय लोगों ने अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी. बताया जा रहा है कि सुरेंद्र दिल के मरीज थे और उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है.

बुढ़ापे में नोटबंदी की मार

500 और 1000 के नोट बंद करने के फैसले के बाद पूरा देश कतार में खड़ा हो कर अपने नोट बदलवाने में लगा है. कतार में सबसे ज्यादा परेशान सीनियर सिटीजन्स हो रहे थे. हालांकि अब सरकार ने बैंकों में बुजुर्गो और दिव्यांगों के लिए अलग काउंटर लगाने का निर्देश दिया है, लेकिन कई जगहों पर ऐसी व्यवस्था नहीं की गई है.

पूरे बिहार में नोट बदलने के लिए बैंकों में भारी भीड़ लगी रही. एटीएम में 100 के नोट पर्याप्त न होने के कारण लोग परेशान दिखे. लेकिन, राहत की बात रही कि कई शहरी क्षेत्रों में अफरातफरी की स्थिति नहीं दिखी.

हैदराबाद के जुड़वां शहर सिकंदराबाद के मारेदापल्ली में आंध्र बैंक की शाखा में लक्ष्मीनारायण (75) नामक बुजुर्ग चकरा कर गिर पड़े. वह दो घंटे से लाइन में खड़े थे. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी. चिकित्सकों ने कहा कि हार्टअटैक की वजह से उनकी मौत हो गई. लोगों का आरोप है कि भारी भीड़ होने के बावजूद बैंक ने बुजुर्गों के लिये अलग से कतार की व्यवस्था नहीं की थी.

हैदराबाद में लोगों ने यह शिकायत भी की कि बैंक अधिकारी जान-पहचान वालों या फिर रसूख वालों की ही सुन रहे हैं.

पैसे के लिए एक पैर पर खड़ा देश

पूरे देश में नोट बदलवाने या नकदी निकालने को लेकर एक सा ही हाल है . रोजमर्रा की जिंदगी को चलाने में परेशानी महसूस कर रहे लोग घंटों लाइन में लगे रहे. इसके बावजूद कई लोग खाली हाथ लौटे. बैंकों पर अफरातफरी की स्थिति बनी रही. सुरक्षाकर्मियों को हालात संभालने में मशक्कत करनी पड़ी.

सरकार ने इस मारामारी के लिए उन लोगों को जिम्मेदार ठहराया, जो अपना काला धन सफेद बनाने के लिए अपने एजेंटों को बार-बार बैंक भेज रहे हैं. सरकार ने तय किया है कि अब बैंक से बार-बार नोट बदलवाने वालों पर रोक लगाने के लिए नोट बदलवाने वाले की उंगली पर वही स्याही लगाई जाएगी, जो वोट डालने के समय लगती है.

इसके अलावा, देश के कई हिस्सों से जन-धन खातों में बड़ी मात्रा में नकदी जमा होने की खबरें आने के बाद वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को जन-धन खातों में नकदी जमा करने की सीमा 50,000 रुपये कर दी.

लेकिन, बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जो बार-बार तो दूर, एक बार भी पैसा नहीं निकाल सके हैं. निजी कंपनी के सुरक्षाकर्मी अंकुश तिवारी ने आईएएनएस से कहा कि वह दिल्ली के लाजपतनगर में एटीएम पर सुबह छह बजे पहुंचे और उन्हें दोपहर एक बजे 2500 रुपया निकालने का मौका मिल सका.

लखनऊ में मैकेनिक सुहैल ने कहा, 'दिक्कत ऐसी हो गई है कि समझ में नहीं आ रहा है कि घर वालों को खाना कैसे खिलाऊं?'

केरल में स्थिति और बिगड़ी हुई है. जिला सहकारी बैंकों को नोट बदलने की इजाजत नहीं मिलने से स्थिति बिगड़ी है. इसके विरोध में समूचे सहकारिता क्षेत्र ने बुधवार को राज्य में हड़ताल का ऐलान किया है.

सुबह-शाम बस एक ही काम, पैसों का इंतजाम

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जनता के सब्र का बांध टूट गया. मंगलवार दोपहर राजधानी के लालगंगा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की जम्मू एंड कश्मीर बैंक शाखा में विवाद बढ़ने पर गार्ड की राइफल कंधों से उतरकर हाथों में आ गई. नोट खत्म होने के चलते बैंक मैनेजर और लोगों के बीच काफी बहस हुई. लेकिन, मामले को शांत करा लिया गया.

मध्य प्रदेश में भी आम लोगों की परेशानी कम नहीं हुई. मंगलवार को भी बैंकों, डाकघरों व एटीएम के बाहर लंबी-लंबी कतारें लगी रहीं, वहीं कई निजी संस्थानों ने अपने कर्मचारियों को एक साथ अतिरिक्त दो-दो महीने की तन्ख्वाह  दे दी. इसे कालेधन को ठिकाने लगाने की कोशिश माना जा रहा है.

एक कर्मचारी का कहना है, 'कालेधन पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा नोट को अमान्य किए जाने से उसकी चांदी हो गई है, क्योंकि उसका मालिक जो हर महीन समय पर सैलरी देने में आनाकानी करता था, उसने दो महीन की एक्स्ट्रा सैलरी दे दी है. हां, उसे नोट बदलवाने जरूर कुछ परेशान होना पड़ेगा, मगर यह ज्यादा बड़ी समस्या नहीं है.'

चेन्नई में ऑल इंडिया बैंक इंप्लाई एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने मंगलवार को कहा, 'अगर बैंक कर्मचारियों पर काम का अनुचित दबाव डाला जाता है और उन्हें कठिनाई होती है तो हम सरकार के साथ सहयोग की समीक्षा करेंगे. लचीलेपन की एक सीमा होती है.'