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नोट बैन: लाश ले जानी है तो नए नोट लाइए!

नोएडा-एनसीआर में नोटबंदी का मरीजों पर भारी असर पड़ रहा है...

Ravishankar Singh

नोएडा के सेक्टर-11 मेट्रो अस्पताल के इमरजेंसी रूम से जोर-जोर से रोने की आवाजें आ रही थीं. इमरजेंसी रूम के गेट पर जाने से पहले ही आभास हो गया था कि यहां पर किसी की मौत हुई है. इमरजेंसी गेट पर पहुंचने के बाद एक अलग ही नजारा देखने को मिला. लोगों से मालूम चला कि कुछ देर पहले ही एक युवक को यहां लाया गाया था, जिसकी मौत हो गई.

मरने वाले युवक नाम संतोष था. 34 साल के संतोष की मौत के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था. बिहार के भभुआ जिले के रहने वाले संतोष का परिवार फिलहाल नोएडा सेक्टर-10 में रहता है. उनके परिवार में पत्नी और एक 2 साल की बेटी है. उसकी सास का रो-रो कर बुरा हाल है.


संतोष के दोस्त पिंटू ने बताया कि शव को बिहार ले जाना है. कई एबुंलेस से संपर्क किया, पर वे मना कर रहे हैं. कहते हैं पहले पैसा यहां देना होगा. आपको बिहार जाना है, इसकी क्या गारंटी है कि आप वहां पर मेरे पैसे दे देंगे? पिंटू कहते हैं कि आज सुबह ही संतोष से बात हुई थी. उसने बताया था कि खुदरे पैसे का बंदोबस्त करना है. पहले ऑफिस जाउंगा फिर बैंक जाना है.

नोएडा-एनसीआर में नोटबंदी का मरीजों पर भारी असर पड़ रहा है. खुदरा पैसा नहीं होने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

शहर के सरकारी और गैर-सरकारी अस्पतालों में छुट्टे पैसे की वजह से लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. ओपीडी कांउटर से लेकर अल्ट्रासांउड और पैथोलॉजी जांच तक के लिए तीमारदार जब पांच सौ और हजार के नोट देते हैं तो उसे वापस कर दिया जाता है.

हमने नोएडा के कई अस्पतालों का दौरा कर मरीजों की परेशानी जानने की कोशिश की...

नोएडा का कैलाश अस्पताल शहर का एक जाना-माना प्राइवेट अस्पताल है. अस्पताल के अंदर केमिस्ट शॉप में आसानी से पुराने 500 और 1000 नोट लिए जा रहे थे. कई मरीज क्रेडिट कार्ड से भी भुगतान कर रहे थे, तभी अचानक अस्पताल के मालिक और देश के पर्यटन राज्यमंत्री डॉ महेश शर्मा आते हैं.

फर्स्टपोस्ट ने उनसे मौके पर ही पूछा कि क्या उनके अस्पताल में पुराने 500 और 1000 के नोट लिए जा रहे हैं? डॉ शर्मा कहते हैं कि सरकार की जो गाइडलाइन आई है, अस्पताल उसका पालन कर रहा है. जब उनसे इस मसले पर प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि वह सिर्फ अपने मंत्रालय से संबंधित प्रश्न का जवाब देंगे. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय का आदेश है कि इस मामले पर सिर्फ वित्त मंत्रालय ही बोलेगा इसलिए उनका बोलना सही नहीं है. साफ है कि नोटबंदी इतना संवेदनशील मसला है कि सरकार के भी सीमित नुमाइंदे ही जवाब देने के लिए तय किए गए हैं.

कैलाश अस्पताल से सटे एक एटीएम में लंबी लाइन थी. लाइन में लगे बुलंदशहर से आए एक मरीज का रिश्तेदार संदीप बताता है, ‘साहब अस्पताल में तो कोई दिक्कत नहीं है. वे पुराने नोट ले रहे हैं, पर हमारे जैसे कई और लोग हैं जो एक टाइम का खाना खा रहे हैं. मुझे खाने-पीने में दिक्कत हो रही है. मैं मरीज को छोड़ कर जाता हूं तो मरीज परेशान और अगर मरीज के साथ रहता हूं तो खुद भूखे रहना पड़ेगा. मेरे पास खुदरे पैसे कहां से आएंगे.’

कैलाश अस्पताल में ही राजेश दुबे मिले, जो अपने बहनोई के इलाज के लिए इलाहाबाद से आए हैं. कुल 10 हजार रुपए लेकर आए थे. पैसे भी खत्म होने पर है. अपनी समस्या बताते हए दुबे जी कहते हैं, 'अभी तक एटीएम बंद है. मैं नया आदमी हूं किस-किस बैंक का चक्कर लगाऊंगा.'

नोएडा के अंबेडकर अस्पताल से निराश लौटे एक परिवार से मुलाकात हुई. इकराम बिहार के मुंगेर के रहने वाले हैं. उसके साथ उसका छोटा भाई, बहन, पत्नी और मां थी. इनके पिता इस्लाम सांस की समस्या परेशान हैं. पिछले तीन दिन से उनकी हालत नाजुक है. वह दो दिन से एक बैंक से दूसरे बैंक और एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं.

इकराम और उसका परिवार

इकराम का कहना है कि वह पैसे होते हुए भी पिता का इलाज नहीं करा पा रहे हैं. अनहोनी का डर सता रहा है. इकराम का परिवार अभी नोएडा के सेक्टर-9 में रहता है. इकराम ने मोबाइल नंबर दे कर कहा है कि हमारी मदद करें.

नोएडा सेक्टर-11 मेट्रो अस्पताल के डॉक्टर दिनेश कहते हैं, ‘लोगों को तो दिक्कतें हो रही हैं. चार-पांच सौ से नीचे का कोई टेस्ट नहीं हैं. 100-100 के नोट मरीज कितना लाएगा.’ उन्होंने कहा, ‘आपके पास अगर टीपीए है या आप मेडिकली कवर्ड हैं तो ठीक है पर जिन लोगों के पास टीपीए नहीं है, उन्हें थोड़ी परेशानी है. केमिस्ट शॉप पर दवाई लेने जाएंगे तो वो सिर्फ डायगनॉसिस वाला ही दवाइयां देगा. जो लोग केमिस्ट शॉप पर जा कर दवा ले आते थे, उन्हें दिक्कत होगी.’

लोगों का कुल मिलाकर कहना है कि सरकार का ये फैसला सही है पर सरकार को इस फैसले के बाद जो इंतजाम करना चाहिए था, वह नाकाफी है. जिससे देश में लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.