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नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए CRPF ने शुरू किया स्थानीय भाषा और संस्कृति का कोर्स

इस विशेष ट्रेनिंग के तहत जवानों को नक्सलियों के खिलाफ महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए वहां की स्थानीय जनजाति और आबादी के बोलने का लहजा, रीति रिवाज सीखा रही है.

FP Staff

झारखंड में नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए सीआरपीएफ ने एक नया तरीका इजाद किया है. सीआरपीएफ नक्सलियों की बेहतर मुखबीरी करवाने के लिए अब अपने जवानों को भाषा और संस्कृति की कोर्स शुरू करने जा रही है. इस विशेष ट्रेनिंग के तहत जवानों को नक्सलियों के खिलाफ महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए वहां की स्थानीय जनजाति और आबादी के बोलने का लहजा, रीति रिवाज सीखा रही है.

सबसे पहले 1200 जवानों को जनजातियों के 'जीवन के तरीके' के बारे में बुनियादी जानकारियां दी जाएंगी, जिसमें स्थानीय क्षेत्र के साप्ताहिक मेलों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की विशेष यात्रा भी शामिल है.


बाद में फिर और भी लोगों को इस ट्रेनिंग के तहत प्रशिक्षित किया जाएगा. इससे सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों के बीच एक दोस्ताना और विश्वासनीय संबंध स्थापित करने की कोशिश पूरी हो सकती है.

नक्सल विरोधी ऑपरेशन फोर्स में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल सबसे अग्रणी है. सीआरपीएफ ने आदिवासी वर्चस्व वाले राज्य में वामपंथी चरमपंथियों (एलडब्लूई) या माओवादियों के खिलाफ सशस्त्र संचालन करने के लिए 20 बटालियनों (लगभग 20,000 सैनिक) तैनात किए हैं.

झारखंड में सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर जनरल संजय ए लथकर ने पीटीआई को बताया कि हम राज्य के सबसे दूरस्थ स्थानों में तैनात हैं जहां एक जवान और अधिकारी नियमित रूप से क्षेत्र के आदिवासियों और स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करते हैं. स्थानीय भाषा की जानकारी ना होने के कारण खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और स्थानीय लोगों के लिए नागरिक कल्याण कार्यक्रम आयोजित करने में बहुत मुश्किल आती है.