सीआरपीएफ ने कश्मीर घाटी में होने वाले विरोध-प्रदर्शनों से निपटने के लिए नई विकसित और ‘कम घातक’ प्लास्टिक की 21 हजार गोलियां भेजी हैं.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में प्लास्टिक की गोलियों को विकसित किया गया है. इन गोलियों को एके सीरीज की राइफलों में भरा जा सकता है. इनका इस्तेमाल विवादों में रहीं पैलेट गोलियों के विकल्प के तौर पर किया जाएगा.
सीआरपीएफ के महानिदेशक आर. आर. भटनागर ने कहा, ‘परीक्षणों में पता चला है कि ये प्लास्टिक की गोलियां कम घातक हैं. इससे भीड़ नियंत्रण के लिए प्रयुक्त पैलेट गनों और अन्य गैर घातक हथियारों पर हमारी निर्भरता कम होगी.’
इसका इस्तेमाल एके 47, 56 में किया जा सकता है
उन्होंने कहा कि भीड़ को नियंत्रित करने और घाटी में पत्थरबाजों से निपटने के लिए प्रयोग की जाने वाली ये सबसे नई प्रकार की कम घातक गोलियां हैं.
डीजी ने कहा, ‘हमारी सभी यूनिट को वितरण के लिए हाल में करीब 21 हजार गोलियां भेजी गई हैं.’ जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से लड़ने और कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए तैनात सीआरपीएफ ने प्लास्टिक की गोलियों का आर्डर दिया था, ताकि जवान धातु से बनी घातक गोलियों की जगह नई प्लास्टिक गोलियां अपने पास रख सकें.
भटनागर ने कहा कि सीआरपीएफ एके सीरीज की दोनों राइफलों 47 और 56 का कश्मीर घाटी में इस्तेमाल करती है. गोलियों को इस तरह से बनाया गया है कि वो इन राइफलों में फिट हो सकें.