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बजट में स्टार्ट-अप्स को मिल सकता है क्राउड फंडिंग का तोहफा

इस साल बजट में सरकार देश में क्राउड फंडिंग को बढ़ावा देने का ऐलान कर सकती है

Ravishankar Singh

नरेंद्र मोदी ने पिछले साल स्टार्टअप इंडिया के जरिए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की पहल की थी. स्टार्टअप्स की सबसे बड़ी समस्या फंड के इंतजाम करने की है. इस लिहाज से साल 2016 स्टार्टअप्स के लिए काफी बुरा रहा.

इस दौरान पेपरटैप और ग्रॉफर्स जैसे स्टार्टअप्स को कई शहरों में अपना कारोबार समेटना पड़ा. फंड की कमी के चलते कुछ स्टार्टअप्स का धंधा पूरी तरह चौपट हो गया. ऐसे में क्राउड फंडिंग स्टार्टअप्स के लिए लाइफ लाइन बन गया है. क्राउड फंडिंग से एक हद तक स्टार्टअप्स की फंडिंग की समस्या दूर हो सकती है.


बजट में हो सकता है ऐलान 

सरकारी सूत्रों के मुताबिक साल 2017 के आम बजट में सरकार देश में क्राउड फंडिंग को बढ़ावा देने का ऐलान कर सकती है. इस साल बजट मेंसरकार क्राउड फंडिंग को बढ़ावा देने के लिए विशेष इंतजाम करने वाली है.

क्राउड फंडिंग के जरिए स्टार्टअप इंडिया को बढ़ावा देना सरकार के लिए मजबूरी बनती जा रही है. आर्थिक मामले के जानकारों का कहना है कि एनजीओ पर काबू पाने के लिए क्राउड फंडिंग ही एक कारगर उपाय हो सकता है. क्राउड फंडिंग विदेश में पहले से ही काफी लोकप्रिय हैं. भारत जैसे देश में डिजिटल क्रांति के बाद क्राउड फंडिंग तेजी से पैर पसार रहा है.

क्या होता है क्राउड फंडिंग

कई देशों में क्राउड फंडिंग के जरिए विशेष परियोजनाएं, व्यावसायिक हित या सामाजिक कामों के लिए इंटरनेट के जरिए फंडिंग जुटाई जाती है. वेबसाइट आधारित प्लेटफॉर्म जैसे सोशल साइट या नेटवर्किंग साइट से पैसों की सोर्सिंग या फंडिंग को क्राउड फंडिंग कहते हैं.

देश के साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल कहते हैं, ‘क्राउड फंडिंग या सोर्सिंग एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें आप एक नेटवर्क पर बैठे लोगों से आग्रह करते हैं कि आप अपने घरों में बैठे-बैठे कुछ पैसे लगाएं. जबकि भारत जैसे देश में अभी तक यह होता है कि आपको अगर धन चाहिए तो आप इनवेस्टर के पास या बैंक के पास जाते हैं.’

पवन दुग्गल आगे कहते हैं, ‘ये जरुरी नहीं कि हरेक को बहुत सारे पैसे देने की जरुरत होती है. आप 10 रुपए या 100 रुपए दे कर आप पैसा इकठ्ठा कर सकते हैं. बूंद-बूंद से घड़ा भर सकते हैं. भारत जैसे देश में यह बहुत लाभदायक चीज है.अमेरिका में 2008 में आए आर्थिक मंदी के बाद लोगों ने जोर-शोर से क्राउड फंडिंग की शुरुआत की थी.’

भारत में क्राउड फंडिंग कितना कारगर

देश डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा है, पर देश में क्राउड फंडिंग के लिए कोई नीति नहीं है. पैसा नहीं होने के कारण देश के युवा स्टार्ट-अप के तौर पर अपना बिजनेस शुरू नहीं कर पाते लेकिन सरकार इस बजट में कुछ प्रावधान करने पर विचार कर रही है. जिससे भारत जैसे देश में भी फंड जुटाना बड़ी समस्या नहीं रहने वाली है.

भारत में क्राउड फंडिंग काफी जोर से बढ़ रहा है. साल 2014 में क्राउड फंडिंग में 167 प्रतिशत इजाफे के साथ 16.2 करोड़ डॉलर रहा. साल 2015 में यह आंकड़ा 34.4 करोड़ डॉलर हो गया. जो कि पिछले साल की तुलना में दोगुना है. साल 2016 में भी यह आंकड़ा दोगुना से भी ज्यादा हो गई है.

एक्सपर्ट की राय

देश के साइबर मामले के जानकार पवन दुग्गल फर्स्ट पोस्ट से बात करते हुए कहते हैं, ‘क्राउड फंडिंग से नोटबंदी के बाद कालाधन पर भी अंकुश लगेगा. देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था की रफ्तार और बढ़ेगी.’

पवन दुग्गल आगे कहते हैं, ‘भारत में जल्द ही एक वैधानिक जरिया भी बन सकता है. क्राउड फंडिंग दुनिया के तमाम विकसित देशों में पहले से ही लोकप्रिय हैं. इसमें आम लोग इंटरनेट के जरिए पैसे जुटाते हैं. क्राउड फंडिंग के जरिए छोटे व्यवासायी भी धन जुटाने में समर्थ हो जाते हैं.’

सेबी ने सौंपी रिपोर्ट

सूत्रों के अनुसार शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी ने सरकार को क्राउड फंडिंग पर एक रिपोर्ट सौंपी है. सेबी ने सरकार को बताया है कि सीमा पार निवेश के प्रबंधन से जुड़ी समस्या है. इस तरह की पेशकश भारत जैसे देश में गैरजरूरी होगा.

साल 2015 में सरकार ने इंटरनेट आधारित प्लेटफॉर्मों और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे लोगों को पूंजी जुटाने की अनुमित दे दी थी.

विश्लेषक मानते हैं कि सेबी क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म सिर्फ रजिस्ट्रर्ड इकाइयों को ही उपलब्ध कराने के पक्ष में है. देसी कंपनियां इस विकल्प के जरिए साल में 10 करोड़ रुपए जुटा सकती है. सेबी ने कहा है कि सिर्फ मान्यताप्राप्त निवेशक ही इसका लाभ ले सकेंगे.