view all

गाय कहीं दलित घोषित तो कहीं सुन रहीं हैं भागवत कथा

गायों के ऐसे किस्से सामने आ रहे हैं, जिन पर सोशल मीडिया में जमकर चटखारे लिए जा रहे हैं.

Mridul Vaibhav

देश में इन दिनों गधों की जमकर तारीफ हो रही हैं और उनकी शान में क्या खूब कसीदे पढ़े जा रहे हैं. स्वयं प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि गधे उनके लिए प्रेरणा-स्रोत रहे हैं और वे गधे की तरह दिन भर काम करते हैं.

लेकिन इन दिनों भाजपा शासित राज्यों में गायों की दयनीय हालत के कई ऐसे किस्से सामने आ रहे हैं, जिन पर सोशल मीडिया में जमकर चटखारे लिए जा रहे हैं. गुजरात के मेहसाणा जिले में दलित समुदाय की गायों को दलित घोषित कर दिया गया है तो राजस्थान के सीकर जिले में 211 गायों को 211 ब्राह्मण भागवत कथा सुना रहे हैं.


आप मानें या न मानें, लेकिन राजस्थान के शेखावाटी इलाके के सीकर जिले के फतेहपुर में बुधगिरि मढ़ी पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा को स्थानीय मीडिया बहुत अद्भुत बता रहा है. भागवत कथा के लिए एक व्यास पीठ बनाई गई है और इस व्यास पीठ के पीछे 211 गायों के बैठने की विशेष जगह बनाई गई है. एक-एक गाय को एक-एक ब्राह्मण भागवत कथा सुना रहा है. हर गाय को भागवत के सभी 18000 श्लोक सुनाए जाएंगे. आयोजकों ने बाकायदा यह व्यवस्था की है कि हर गाय को हर पंडित हर रोज आठ घंटे भागवत सुनाए.

महंत दिनेश गिरि के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार सनातन धर्म का मूल आधार गाय ही है. गाय में सभी 33 करोड़ देवी-देवताओं का निवास है। चारों वेद और 108 उपनिषद भी गायों में ही निहित हैं। गिरि के अनुसार शास्त्रों में कहा गया है कि कलियुग में गौ, गंगा और भागवत ही मानव की मुक्ति और मोक्ष का आधार हैं, इसलिए गायों के लिए यह विशेष अनुष्ठान किया जा रहा है. इस अनुष्ठान में हर दिन श्रद्धालु आते हैं और भागवत कथा सुनकर पवित्र होने वाली गौओं और कथावाचक ब्राह्मणों से आशीर्वाद लेते हैं.

गायों को कथा सुनाते ब्राह्मण (तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब चल रही है)

राजस्थान सरकार के पंचायती राज और ग्रामीण विकास तथा संसदीय मामलों के मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ सहित कई बड़े नेता इस गो महिमा महोत्सव में आ चुके हैं और आए दिन लोग आ रहे हैं. यह भी कहा जा रहा है कि यह जगह बहुत अद्भुत है और यहां लोकदेवता बुधगिरि जी महाराज ने 21 साल पहले जीवित समाधि ली थी. वे बड़े गोरक्षक थे. यह क्षेत्र उसी सीकर जिले का हिस्सा है, जिसमें 1987 में दिवराला सती कांड हुआ था. हालांकि आज यह इलाका पूरे राजस्थान में सबसे अधिक साक्षरता वाले इलाकों में अपनी पहचान स्थापित कर चुका है.

मैंने लोगों से पूछा कि गाएं भागवत कथा सुनती हैं तो वे कब चारा चरती हैं और कब जुगाली करने के बाद आराम फरमाती हैं? उनका जवाब था कि गायों को सुबह आठ से बारह बजे तक भागवत कथा सुनाई जाती है. इस बीच ब्राह्मण देवता भोजन करने चले जाते हैं और गौमाता आराम करती हैं. इसके बाद दो बजे से छह बजे तक फिर गायों को फिर कथा श्रवण करवाई जाती है. लोगों ने बताया कि इस विशेष भागवत कथा के लिए जगदगुरु मलूकपीठाधीश्वर स्वामी राजेंद्र दास देवाचार्य प्रतिदिन साढ़े बारह बजे से दोपहर साढ़े तीन बजे तक मुख्य कथा सुनाते हैं. इसका लाभ गौमाता के अलावा आम भक्त भी उठाते हैं.

राजस्थान के सीकर में भले गौमाताओं को भागवत कथा सुनाई जा रही हो, लेकिन गुजरात के मेहसाणा जिले की यह कहानी एक और ही भेदभाव की दास्तान बताती है. गुजरात में पिछले दिनों गौरक्षकों ने जिस तरह मृत गायों को उठाने वाले दलितों पर जानलेवा हमले किए और जिन पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत तीखी भाषा में आलोचना की, वहां यह किस्सा सुनकर न हंसते बनता है और न रोते. गुजरात के कई प्रशासनिक अधिकारी इस पर हैरान हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि इस तरह की चीजों से कैसे पार पाएं.

यह किस्सा है मेहसाना जिले के नदोली ग्राम पंचायत का. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यहां सवर्ण लोगों ने पांच दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया. लेकिन दलित जब अपनी गायों के लिए चारा लाने गए तो कहा गया कि दलितों की गाएं भी दलित हैं और दलित गाय के लिए चारा भी नहीं मिल सकता. दलित गाएं सवर्ण लोगों के सवर्ण खेतों का चारा कैसे खा सकती हैं. इन लोगों ने मेहसाणा के जिला कलेक्टर से गुहार लगाई, लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकला और गायों के सामने भी भूखों मरने की नौबत आ गई.

दिव्य भास्कर में छपी खबर

मेहसाणा के जिला कलेक्टर को दिए गए वेदना पत्र में इन लोगों ने स्पष्ट कहा है कि गायों के लिए चारा और पानी लाने के लिए उन्हें दूसरे गांवों में जाना पड़ता है. यह विचित्र किस्म का मामला जेरालु ताल्लुका के गांव का बताया जा रहा है. गुजरात के कई अन्य इलाकों में भी इस तरह की घटनाएं हुई हैं. दलित अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले लाेगों का कहना है कि गुजरात एक नई कट्टरता के दौर से गुजर रहा है और हालात वाकई में बहुत विचित्र किस्म के हो रहे हैं. पीड़ितों ने प्रशासनिक अधिकारियों को जानकारी दी है कि गायों के बछड़ों तक के लिए पानी और चारा रोक दिया गया है.

चलिए जब गायों के दलित होने का किस्सा सुना है तो अब आप जरा गायों के बारे में यह भी जानकारी लेते चलिए कि गायों के मूत्र, गोबर, दूध, घी और दही के पंचगव्य पर अब दिल्ली आईआईटी को शोध करने के लिए कहा गया है. राजस्थान सरकार ने तीन साल पहले गोरक्षा विभाग खोलकर सभी संबंधित शोध केंद्रों पर कहा था कि वे पंचगव्य पर शोध करें. इतना ही नहीं, संभवत: इन्हीं शोधों के आधार पर पिछले दिनों राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा था कि विश्व में एक भारतीय गाय ही ऐसा प्राणी है जो सांस के रूप में ऑक्सीजन छोड़ती है!