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कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने माना, 2500 साल पहले भारत में हो चुकी थी प्लास्टिक सर्जरी की शुरुआत

प्राचीन भारतीय चिकित्सक सुश्रुत को सर्जरी का जनक भी माना जाता है. उन्होंने सुश्रुत संहिता लिखी थी. इसमें 1100 से भी ज्यादा बीमारियों के इलाज के अलावा सर्जरी की प्रक्रिया का भी जिक्र किया गया है.

FP Staff

भारत में आज से 2500 साल पहले प्लास्टिक सर्जरी की शुरुआत हो चुकी थी. प्लास्टिक सर्जरी के तहत नाक-होंठों को आकार देना काफी पुराने वक्त से चला आ रहा है. प्राचीन भारतीय चिकित्सक सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक भी माना जाता है. उन्होंने सुश्रुत संहिता लिखी थी. इसमें 1100 से भी ज्यादा बीमारियों के इलाज के अलावा सर्जरी की प्रक्रिया का भी जिक्र किया गया है. इसमें बताया गया है कि नाक की सर्जरी कैसे की जाती है और किस तरह से स्किन ग्राफ्टिंग होती है.

हाल ही में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में 106वें इंडियन सांइस कांग्रेस का आयोजन हुआ. जिसमें कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने माना कि भारत में 2500 साल पहले से प्लास्टिक सर्जरी होती आई है. जिन लोगों के नाक कट गए थे, उनके नाक फिर से सर्जरी के माध्यम से जोड़े जाते थे. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के इरविंग मेडिकल सेंटर की वेबसाइट पर छपे लेख के मुताबिक भारत में 2500 साल पहले प्लास्टिक सर्जरी होती थी. सुश्रुत नाम के भारतीय चिकित्सक के जरिए सर्जरी की जाती थी.


प्लास्टिक सर्जरी में 'प्लास्टिक' एक कृत्रिम सामग्री को संदर्भित करता है. हालांकि यह ग्रीक शब्द है जो कि प्लास्टिकोस से निकला है. जिसका मतलब ढालना या रूप देने से होता है. वहीं 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में पैदा हुए सुश्रुत ने चिकित्सा और सर्जरी पर दुनिया में सबसे पहले काफी विस्‍तार से लिखा. जिसके कारण कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने भी सुश्रुत को सर्जरी का जनक माना है.

ऐसा माना जाता है कि सुश्रुत ने नाक वापस जोड़ने की सर्जरी सफलतापूर्वक की थी. संहिता में करीब 300 तरह की सर्जिकल प्रक्रियाओं की जानकारी दी गई है. इसमें कैटरेक्ट, ब्लैडर स्टोन निकालना, हर्निया और यहां तक कि सर्जरी के जरिए प्रसव करवाए जाने का भी उल्लेख किया गया है.