सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्र ने उभरते वकीलों और जजों से शनिवार को कहा कि वे अंतर्कलह और ध्यान भटकाने वाली बातों से प्रभावित नहीं हों और ऐसी स्थिति से साहसपूर्वक निपटें. वह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह के मौके पर विधि छात्रों को संबोधित कर रहे थे.
सीजेआई ने छात्रों से कहा, 'आपको अंतर्कलह और भटकाव से प्रभावित नहीं होने का रवैया विकसित करने की जरूरत है. दृढ़ और साहसी बने रहें.' उन्होंने कहा कि उभरते हुए वकीलों के लिए विभिन्न सामाजिक विविधताओं के गुप्त प्रभावों और समाज को बांटने वाली असमानताओं से परिचित होना महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा, 'जब तक आप ऐसा नहीं करते, आप वकील या एक प्रशासक के तौर पर अपनी भूमिका में परिपक्व होना कठिन पाएंगे. सामाजिक यथार्थों की व्यापक और व्यावहारिक समझ के बिना आप कानून और सामाजिक प्रभावों को एक-दूसरे से जोड़ने में सक्षम नहीं हो पाएंगे.'
उन्होंने कहा, 'जन कल्याण सर्वोच्च कानून है.' चीफ जस्टिस ने कहा, 'आप समान अधिकार, स्वतंत्रता और न्याय के अभियान में बदलाव के योद्धा हैं. आप लोगों को न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में योगदान करने वाला बनने जा रहे हैं. वकील के तौर पर हमेशा अपनी तरफ से कुछ समय वंचितों की भलाई के लिये समर्पित करें. लोगों का कल्याण सर्वोच्च कानून है.'
उन्होंने कहा, 'समाज के वंचित वर्गों को लेकर अपने पेशे में आगे बढ़ने से आपको संतुष्टि की भावना मिलेगी. जो कहीं अधिक बड़ी उपलब्धि होगी.' उन्होंने छात्रों से विधि के हॉल ऑफ फेम में प्रवेश करने के लिए उच्च महत्वाकांक्षा रखने और अपने सपनों को वास्तविकता में बदलने के लिए काफी साहस रखने को कहा. उन्होंने कहा, 'आपको विचारों की स्पष्टता का गुण और बौद्धिक शक्ति पैदा करनी चाहिए. ये मुख्य गुण हैं जिसे उभरते वकीलों को हासिल करने का अवश्य प्रयास करना चाहिए.'