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Citizenship Amendment Bill 2019: अफगान शरणार्थियों का छलका दर्द, कर रहे राज्यसभा में बिल पास करने की अपील

अमरजीत कौर ने बिल पास करने की अपील करते हुए बताया कि कैसे लोग उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए कहते हैं

FP Staff

नागरिकता संशोधन बिल 2019 को मंगलवार को लोकसभा में पास कर दिया गया है. सरकार अब इसे बुधवार को राज्यसभा में पास करने की कोशिश करेगी. इस बीच अफ्गानिस्तना से आए कुछ शरणार्थियों ने भी इस बिल को पास करने की अपील की है.

काबुल से भारत आईं अमरजीत कौर ने इस बिल को पास करने की अपील की है. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने अपनी परेशानियां भी बताई. अमरजीत कौर ने कहा, ' मेरे तीन बच्चे है. हम काबुल में भी मुसीबत में थे और यहां भी मुसीबत में हैं.' उन्होंने कहा, लोग हमें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए कहते हैं.' उन्होंने कहा, पूरे परिवार में केवल मेरे ससुर ही कमाते थे, लेकिन उनकी भी एक बम ब्लास्ट में मौत हो गई.'


इनके अलावा एक और शरणार्थी मनोहर सिंह ने भी अपना र्दद जाहिर किया. उन्होंने कहा, ' ये हमारा दुर्भाग्य है कि हमें अपने देश में ही भारतीय होने का दर्जा नहीं दिया जाता. हम पिछले 20-25 साल से नागरिकता लेने की कोशिश कर रहे है. उन्होंने कहा कि मैं सभी पार्टियों से अपील करता हूं की इस बिल को पास कराने का समर्थन करें.

क्या है नागरिकता संशोधन बिल

यह बिल, नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. इस बिल के कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय छह साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी.

राजनाथ सिंह ने सदन में क्या कहा?

मंगलवार को सदन में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि नागरिकता विधेयक के संबंध में गलतफहमी पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है और असम के कुछ भागों में आशंकाएं पैदा करने की कोशिक हो रही है .

उन्होंने कहा था कि यह विधेयक सिर्फ असम के लिए नहीं है बल्कि ऐसे हजारों लोगों के लिये है जो पश्चिमी सीमा से आकर दिल्ली, गुजरात और अन्य स्थानों पर रह रहे हैं . यह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा. इसके पीछे सोच यह है कि उत्पीड़न के शिकार प्रवासी देश के किसी हिस्से में रह सकें.

सिंह ने जोर दिया कि पाकिस्तान में राष्ट्र और समुदाय के स्तर पर अल्पसंख्यकों के साथ सुनियोजित तरीके से भेदभाव किया जाता है . उन्हें बुनियादी अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता से वंचित किया जाता है.

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और अफगानिस्तान में वर्तमान सरकार अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध है. लेकिन इन देशों में भी घटनाएं सामने आई हैं.

गृह मंत्री ने कहा कि ऐसे में इन लोगों के पास भारत में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.