जेएनयू में छात्र आंदोलन के दौरान होनेवाली प्रचार सामग्री की जांच पड़ताल की जाएगी. यूनिवर्सिटी प्रशासन पहले पोस्टर सहित अन्य प्रचार सामग्रियों की आधिकारिक तौर पर जांच करेगी, उसके बाद ही उसके इस्तेमाल की इजाजत दी जाएगी. इसके लिए यूनिवर्सिटी ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के नियमों का हवाला दिया है.
जेएनयू के प्रॉक्टर चिंतामणी महापात्रा ने दो जनवरी को किए एक ट्वीट में कहा है कि जेेएनयू के छात्रों को इस मामले में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों से सीख लेनी चाहिए. जहां किसी तरह के प्रचार सामग्री का इस्तेमाल तभी किया जाता है जब यूनिवर्सिटी प्रशासन उसकी जांच कर लेता है.
जेएनयू में इस आदेश का विरोध किया जा रहा है. जेएनयूएसयू की अध्यक्ष गीता कुमारी ने ट्वीट कर कहा था कि विरोध की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, उसी के तहत ऐसे आदेश दिए जा रहे हैं. महापात्रा ने उसी के जवाब में ट्वीट कर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का जिक्र किया था.
अनिवार्य उपस्थिति के विरोध को लेकर चल रहा है आंदोलन
अनिवार्य उपस्थिति को लकर इस वक्त कैंपस में आंदोलन जोरों पर है. गीता कुमारी ने कहा कि छात्र आंदोलन की धार को कम करने के लिए यह सब किया जा रहा है. जब छात्र विरोध कर रहे हैं तो उनके ऊपर दो हजार रुपए से 20 हजार रुपए तक फाइन लगाए जा रहे हैं.
छात्रों का कहना है कि पोस्टर चिपकाने को लेकर एक कमेटी का गठन पहले ही किया जा चुका है. जिसका कहना है कि पूरे कैंपस में पोस्टर चिपकाने के बजाए किसी तयशुदा स्थान पर ही लगाया जाना चाहिए. इससे साफ जाहिर हो रहा है कि जिस बात के लिए जेएनयू जाना जाता रहा है, उसे ही खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है.