इलेक्ट्रिक वाहन नीति (2018) में दर्ज किया गया कि 2017 में पूरी दुनिया में लाखों इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री हुई है. जो करीब 30 लाख सालाना है. इनमें आधे से ज्यादा बिक्री चीन में है जहां इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार प्रतिशत 2.2 है. वहीं इलेक्ट्रिक कारों के लिए विकसित बाजार नार्वे में 39 फीसदी नई कारें बेची गईं.
टीओआई के मुताबिक इस वाहन नीति में यह भी कहा गया कि ब्लूमबर्ग न्यू इनर्जी फाइनेंस को उम्मीद है कि इलेक्ट्रिक वाहन की बिक्री 2025 तक 11 मिलियन और 2030 में 30 मिलियन होगी. वहीं अगर दिल्ली की बात करें तो सबसे बड़ी समस्या चार्जिंग प्वाइंट की है. यहां लोगों को इलेक्ट्रिक वाहन मिल सके, इसके लिए राज्य सरकार को ध्यान देना होगा और दूसरे देशों की नीति को अपनाना होगा.
चीन की सरकार ने योजना बनाई है कि वह 2022 तक 4.8 मिलियन चार्जिंग प्वाइंट बनवाएगी और 1.9 बिलियन डॉलर का निवेश करेगी. वहीं यूके ने कंपनियों को चार्जिंग प्वाइंट लगाने के लिए 400 मिलियन डॉलर के इनवेस्टमेंट फंड की घोषणा की है. यूएस में कैलिफोर्निया पब्लिक यूटिलिटी कमीशन ने 738 मिलियन डॉलर और न्यूयॉर्क पावर अथॉरिटी ने 250 मिलियन डॉलर अप्रूव किए हैं.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इलेक्ट्रिक वाहन प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए मजबूत लीगल प्रोसेस, अच्छी सब्सिडी नीति और रणनीति की जरूरत होगी. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली के लिए सरकार क्या कदम उठाती है.