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चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भारत की सुरक्षा के लिए चिंताजनक: रिपोर्ट

सीपीईसी का कुछ हिस्सा पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है और यह भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए चिंताजनक है

Bhasha

चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) सहित चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सांठगांठ पर चिंता व्यक्त करते हुए संसद की एक समिति ने कहा है कि सीपीईसी का कुछ हिस्सा पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है और यह भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए चिंताजनक है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सीपीईसी का कुछ हिस्सा पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है जो भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर का हिस्सा है और उस पर पाकिस्तान ने अनाधिकृत कब्जा किया है. यह भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए चिंताजनक है.


बहरहाल, इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस (आईडीएसए) से जुड़े विशेषज्ञ जैनब अख्तर की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के सहयोग से बनाए जा रहे चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा को पाकिस्तान बेशक बेहद महत्वपूर्ण परियोजना बता रहा हो लेकिन अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान के पास इतने बड़े आधारभूत संरचना विकास की जरूरतों को समाहित करने की क्षमता नहीं है और वह अनजाने ही बड़े कर्ज के जाल में फंस सकता है.

सीपीईसी के खिलाफ उठाई जाने वाली आवाज को मीडिया में कोई स्थान नहीं मिलता

अख्तर ने इस रिपोर्ट में कहा है कि गिलगित-बालटिस्तान जो पहले उत्तरी क्षेत्र के रूप में जाने जाते थे और जो जम्मू कश्मीर राज्य का अभिन्न हिस्सा थे, वे अभी पाकिस्तान के कब्जे में हैं. यह इलाका सीपीईसी की घोषणा के बाद से सुर्खियों में आ गया है. इसमें कहा गया है कि सीपीईसी चीन की एक क्षेत्र-एक मार्ग (ओबीओआर) पहल का हिस्सा है जिसे पाकिस्तान अपने लिए काफी महत्वपूर्ण बता रहा है क्योंकि उसे इससे आर्थिक लाभ मिलने का उम्मीद है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में सीपीईसी को लेकर आर्थिक एवं राजनीतिक चर्चा के बीच गिलगित-बालटिस्तान के लोगों की आशा एवं आकांक्षाओं को नजरंदाज किया जा रहा है. सीपीईसी के खिलाफ उठाई जाने वाली आवाज को मीडिया में कोई स्थान नहीं मिलता और पाकिस्तान में कोई भी यह स्पष्ट रूप से बताने की स्थिति में नहीं है कि सीपीईसी के व्यापक परिदृश्य में गिलगित-बालटिस्तान का क्या स्थान है?