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भारत पर चीन कर सकता है 'वॉटर बम' से हमला

चीन अपने बांधों के दरवाजे खोलकर भारत की ओर बहने वाली नदियों को तबाही का जरिया बना सकता है

FP Staff

30 दिन से ज्यादा बीत गए हैं जब डोकलाम में भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं. चीन बार-बार भारत को अंजाम भुगतने की धमकियां दे रहा है, लेकिन युद्ध थोपने के बारे में भी नहीं सोच रहा है. वो भारत के साथ युद्ध लड़ने से बचना चाहता है. इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि को नुकसान होगा. फिर चीन का प्लान क्या है? आशंकाएं हैं कि चीन 'वॉटर बम' जैसी साजिश रच रहा है, जिससे भारत के बड़े इलाके को तबाह किया जा सके.

दरअसल, इस बात का अंदेशा पर्यावरण वैज्ञानिक जता रहे हैं. उनका कहना है कि चीन के पास बड़ी जलराशि और ऊंचाई पर बने हुए बड़े-बड़े बांध हैं और वो इन्हें तबाही के सामान की तरह इस्तेमाल कर सकता है. देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक संतोष राय के मुताबिक अगर वो (चीन) पानी छोड़ देगा तो वो इतनी तीव्र ग्रैविटी से आएगा कि फ्लड जैसा हो जाएगा और बहुत तबाही आएगी.


तिब्बत से निकलकर निकलकर कई नदियां भारत में बहती हैं. इन नदियों पर चीन ने बड़े-बड़े बांध बना रखे हैं. इसलिए वैज्ञानिक अब आशंका जता रहे हैं कि चीन डोकलाम का बदला लेने के लिए प्रकृति की ताकत का गलत इस्तेमाल करके भारत में तबाही ला सकता है.

चीन के 'वॉटर बम' की हकीकत क्या है?

अबतक इस थ्योरी पर बहुत जोर दिया जा रहा है कि चीन 'वॉटर बम' चला सकता है, लेकिन इस 'वॉटर बम' की हकीकत क्या है? दरअसल, चीन की भौगोलिक स्थिति के लिहाज से देखा जाए तो वो भारत से ऊंचाई पर बसा है और उसके कब्जे वाले तिब्बत से निकलने वाली कई नदियां भारत से होकर बहती हैं. ऐसे में अंदेशा है चीन बांध में पानी जमा करने के बाद किसी भी दिन दरवाजे खोलकर तबाही मचा सकता है.

चीन के बांध बनेंगे तबाही का बम?

अबतक इस बाते के कोई संकेत या सबूत तो नहीं मिले हैं कि चीन अपने बांधों के दरवाजे खोलकर भारत में जल प्रलय लाने की साजिश रच रहा है, लेकिन पर्यावरण क्षेत्र में काम कर रहे वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि चीन सीधे युद्ध के बजाय ये छद्म युद्ध छेड़ सकता है. वैज्ञानिक संतोष राय ने कहा, 'ऊपरी हिस्से में जो देश है उसे रिपेयरिंग स्टेट बोलते हैं, अगर वो (चीन) पानी छोड़ेगा तो तबाही आएगी. घाघरा, गंडक, ब्रह्मपुत्र नदियां चीन से भारत की ओर बहने वाली तीन नदियां हैं.'

पहली नदी है भारत में महानद कही जाने वाली ब्रह्मपुत्र, ब्रह्मपुत्र तिब्बत से निकलती है. इसे चीनी क्षेत्र में सांगपो कहा जाता है. ये अरुणाचल प्रदेश और असम से होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है. चीन से निकलने वाली दूसरी नदी है सतलुज, जो तिब्बत से निकलकर हिमाचल प्रदेश और पंजाब होते हुए पाकिस्तान में जाकर सिंधु नदी की सहयोगी धारा में बदल जाती है. तीसरी नदी है सिंधु जो तिब्बत से निकलकर कश्मीर के लद्दाख में पहुंचने के बाद जंस्कार नदी में मिल जाती है और पाकिस्तान होते हुए अरब सागर में मिलती है.

चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर कई बांध बनाए हैं. ऐसे में अगर वो उन बांधों के दरवाजे खोल देता है तो भारत के दो राज्यों में जबरदस्त तबाही आएगी. ये राज्य अरुणाचल और असम होंगे. इन दोनों ही राज्यों से ये महानदी होकर बहती और अगर इसमें अचानक बहुत ज्यादा पानी आया तो इन राज्यों का बहुत बड़ा हिस्सा डूब जाएगा. संतोष राय के मुताबिक सरकार ये मानकर चले कि चीन डैम खोल सकता है और डैम खोला तो असम बंगाल पर काफी असर पड़ेगा.

तो वहीं रक्षा विशेषज्ञ अनिल गुप्ता ने भी ऐसा ही अंदेशा जताया है वो कहते हैं कि अरुणाचल के इलाके में काफी नुकसान हो सकता है. अगर चीन डैम तोड़ दे या खोल दे तो.

चीन की इस जलप्रलय का नुकसान पूरे पूर्वोत्तर का जलमग्न हो जाना हो सकता है. उधर, सतलुज में चीन ने अगर पानी छोड़ा तो पजाब का बहुत बड़ा इलाका डूब जाएगा और सतलुज नदी पर बने भाखड़ा बांध पर बनी बिजली परियोजनाएं भी ठप हो जाएंगी, जिस ताकत से ये पानी बांध से छूटेगा वो बहुत विनाशकारी साबित होगा.

इसे ऐसे समझिए बांध के पानी से निकलने वाली ऊर्जा हिरोशिमा पर गिरे परमाणु बम की ऊर्जा से 100 गुना ज्यादा होगी. हालांकि, परमाणु बम जितनी तेजी के साथ ये पानी नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा. क्योंकि परमाणु बम का विकिरण तेजी से फैलता है. लेकिन पानी धीरे-धीरे फैलकर परमाणु बम की चपेट में आने वाले लोगों से भी ज्यादा लोगों को प्रभावित कर सकता है.

वैज्ञानिक संतोष राय के मुताबिक चीन पर भरोसा ना करते हुए सरकार अपनी सारी रणनीति खुली रखे. ट्रांस बाउंड्री रिवर के किनारे हाइड्रोलॉजिकल ऑबजरवेटरी मेनशन करे. वॉटर लेवल, वॉटर फोर्स और केमिकल कंपोजशनिंग की लगातार मॉनिटरिंग हो.

सिंधु पर खतरा बनता चीन

उधर, भारत की नाराजगी के बावजूद चीन पाकिस्तान को सिंधु नदी पर दो बांध बनाने के लिए मदद देने को राजी गया है. पीओके के गिलगिट-बाल्टिस्तान इलाके में चीन सिंधु नदी पर बांध बना रहा है. दियामेर भाशा बांध बनाने की योजना पाकिस्तान ने 2009 में बनाई थी, लेकिन विवादित क्षेत्र होने के कारण अब तक कोई उसकी मदद करने को तैयार नहीं था. लेकिन पाकिस्तान ने इस मोर्चे पर पहल कर दी है. वो 14 अरब डॉलर की मदद देने को तैयार है.

रक्षा विशेषज्ञ अनिल गुप्ता के मुताबिक चीन डैम बनाने को तैयार हो गया है. भारत पहले से ऑब्जेक्शन करता रहा है. इंडस रिवर में पानी कम होगा.

अबतक जलसंधियों को लेकर राजनीति होती रही है. पानी राजनीतिक औजार के तौर पर काम आता रहा है लेकिन लड़ाई थी पानी का ज्यादा हिस्सा इस्तेमाल करने की. अब आशंका जताई जा रही है कि पड़ोसी चीन बहुत ज्यादा पानी छोड़कर उसे परमाणु बम की तरह इस्तेमाल कर सकता है और भारत में 'वॉटर बम' के जरिए पूर्वोत्तर, पंजाब, जम्मू-कश्मीर में तबाही ला सकता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

केदारनाथ से भी भयानक होगी तबाही!

जून 2013 को केदारनाथ में आई जल प्रलय को कोई नहीं भूल सकता. हजारों लोग मारे गए थे और पूरा इलाका सैलाब से तबाह हो गया था. केदरानाथ के ऊपर बनी एक झील से पानी आया और अपने साथ पूरी केदारनगरी को बहा ले गया. कहा जाता है कि केदारनाथ त्रासदी में भी चीन का हाथ होने की आशंका जताई गई थी, लेकिन सच क्या है ये अबतक नहीं पता लग पाया है. अब आशंका जताई जा रही है कि चीन 'वॉटर बम' मारकर भारत में तबाही मचा सकता है.

चीन के 'वॉटर बम' से बच पाएगा हिन्दुस्तान?

चीन अगर अपने बांधों के दरवाजे खोलकर भारत की ओर बहने वाली नदियों को तबाही का सामान बना सकता है तो क्या भारत इससे बचने के लिए तैयार है? इसका जवाब है कि ये ठीक वैसा ही होगा जैसे बाढ़ में असहाय खड़ा एक देश. जिस तरह बाढ़ में राहत और बचाव का काम किया जाता है उसी तरह से अगर चीन से आफत आती हो तो राहत बचाव के अलावा कोई रास्ता नहीं है. लेकिन एक सच ये भी है कि--

क्या बांधों के दरवाज़े खोल सकता है चीन?

चीनी इलाके से बहने वाली नदियां हमारे उत्तर से लेकर पूर्वोत्तर तक हैं. इतने बड़ी हिमालयी इलाके में सिर्फ चीन ही नदियों को पानी नहीं रोक रहा है. कई बार लैंड स्लाइड होने से भी नदियों में बड़ी बड़ी कृत्रिम झील बन जाती हैं. 2012 में भी ऐसा हो चुका है जिसकी चीन ने भारत को खबर तक नहीं दी थी.

रक्षा विशेषज्ञ अनिल गुप्ता ने कहा है कि अगर नेचुरल लैंड स्लाइड से जलभराव हो रहा है तो उसके बारे में पड़ोसी देश को बताना चाहिए, लेकिन चीन कोई सूचना नहीं देता. उसके चलते हमारे हजारों लोग मारे गए. जून 2012 में याम्बू रिवर अपर रीचेज में है. चीन से उसमें इतना पानी छोड़ा गया कि पासी घाट डूब गया.

दरअसल, चीन अगर चाहे तो बांध के दरवाजे खोलकर नदियों में बाढ़ तो ला सकता है लेकिन उसकी भी अपनी एक सीमा है. किसी भी बांध की अपनी क्षमता होती है और क्षमता से ज्यादा पानी किसी भी बांध में नहीं रोका जा सकता. एक सीमित मात्रा में नदी का बहाव बनाए रखना ज़रूरी होता है. इसलिए चीन ऐसा नहीं कर पाएगा.

रक्षा विशेषज्ञ अनिल गुप्ता के मुताबिक पानी का फ्लो पूरा नहीं रोका जाता है. अगर रोकना चाहेगा तो पानी इतना ज्यादा हो जाएगा कि उसके अपने इलाके भी डूब जाएंगे.

वैसे, चीन खुद को दुनिया भर के सामने एक जिम्मेदार महाशक्ति के तौर पर प्रदर्शित करने की कोशिश करता रहा है. अगर ऐसे में चीन ने ऐसी साजिश रची तो उसकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठने लगेंगे.

रक्षा विशेषज्ञ अनिल गुप्ता ने कहा, 'चीन खुद को एक रिस्पॉन्सिबल वर्ल्ड पॉवर दिखाना चाहता है वो ऐसा कुछ नहीं करेगा.'

एक और बात का अंदेशा जताया जा रहा है कि चीन अपने बांधों को बम से उड़ाकर इसे एक हादसे की शक्ल देने की कोशिश कर सकता है. ताकि उसके सिर भी दोष ना आए और भारत में भी तबाही मचाई जा सके. लेकिन ऐसा होना भी मुश्किल ही है. चीन ने अरबों डॉलर लगाकर अपने बांध बनाए हैं. इन पर चीन की बिजली आपूर्ति टिकी है. भारत में बाढ़ लाने के लिए चीन अरबों डॉलर मिट्टी में नहीं मिलाएगा. बांध उड़ाने के बाद बरसों उसे बनाने में लग जाएंगे. इस बीच चीन की इकनॉमी को बहुत नुकसान होगा. इन बातों को ध्यान में रखकर देखें तो नहीं लगता कि चीन ऐसी गलती करेगा, लेकिन चीन कभी भरोसेमंद नहीं रहा. वो हाथ मिलाकर दोस्त भी बनता है तो दगा देकर दुश्मन भी. ऐसे में चीन से चौकन्ना रहना तो जरूरी है ही.

(साभार: न्यूज़18)