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दिल्ली-NCR में ठंड और प्रदूषण की दोहरी मार कहीं क्रिसमस और नए साल के जश्न को फीका न कर दे?

कंपकंपाने वाली सर्दी के साथ दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों पर एक बार फिर से प्रदूषण का कहर भी बरपने लगा है.

Ravishankar Singh

कंपकंपाने वाली सर्दी के साथ दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों पर एक बार फिर से प्रदूषण का कहर भी बरपने लगा है. दिल्ली-एनसीआर में रिकॉर्डतोड़ ठंड के बीच प्रदूषण का स्तर भी रिकॉर्ड बनाने लगा है. क्रिसमस और नए साल के जश्न से पहले ही दिल्ली-एनसीआर एक बार फिर से गैस चैंबर बन गया है. लोग सिरदर्द, आंखों में जलन और खांसी से बेहाल हो रहे हैं.

सोमवार दोपहर तक दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण और खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. रविवार की तुलना में सोमवार को तापमान में हल्का सुधार देखने को मिला. सोमवार दोपहर तक दिल्ली का न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया. इसके बावजूद दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना हुआ है. सोमवार को दिल्ली के आनंद विहार में पीएम-2.5 का स्तर 953 और पीएम-20 का स्तर 1186 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकॉर्ड किया गया.


बता दें कि रविवार बाद से ही दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) सामान्य से सात-आठ गुना ज्यादा हो गया है. दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के अगले दिन जितना प्रदूषण था, उससे कहीं ज्यादा प्रदूषण का स्तर इस समय देखने को मिल रहा है. ऐसे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की चिंता सताने लगी है कि क्रिसमस और न्यू ईयर की पार्टी में अगर जमकर आतिशबाजी हुई तो दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर और विकराल रूप धारण कर सकता है.

सीपीसीबी के मुताबिक दिल्ली के सभी 37 मॉनिटरिंग स्टेशन में पीएम-2.5 और पीएम-10 का लेवल खतरनाक स्तर को पार कर गया है. सीपीसीबी ने लोगों को सलाह दी है कि जो लोग सांस और फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे हैं, वे अगले कुछ दिनों तक घर से न निकलें. सीपीसीबी के अधिकारियों का कहना है कि शनिवार शाम टास्क फोर्स की मीटिंग में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया है कि अगले 4-5 दिनों में दिल्ली में प्रदूषण से कोई राहत नहीं मिलने वाली है. तापमान गिरने की वजह से हालात में सुधार की कोई गुजाइंश भी नहीं बची है.

प्रतीकात्मक

रविवार सुबह दिल्ली के वजीरपुर में पीएम-2.5 का लेवल सामान्य से 16 गुना अधिक दर्ज किया गया. इंडिया गेट पर सामान्य से 6 गुना और आनंद विहार इलाके में सामान्य से 5 गुना अधिक दर्ज किया गया. दिल्ली के अशोक विहार, आईटीओ, पटपड़गंज, रोहिणी द्वारका और पूसा रोड जैसे इलाकों में भी एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 के करीब रहा.

बता दें कि डब्लूएचओ के मानक के मुताबिक भारत में पीएम-2.5 का लेवल 60 और पीएम-10 का लेवल 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है. 100 से 200 तक के एक्यूआई को मीडियम, 201 से 300 तक के एक्यूआई को खराब, 301 से 400 तक को बहुत खराब और 401 से 500 तक को गंभीर श्रेणी में रखा जाता है.

भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान प्रणाली (सफर) के मताबिक, दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता का स्तर लगातार गंभीर बना हुआ है. हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में अगले कुछ दिनों तक और बनी रहेगी, इससे स्थिति और खराब होगी.

वहीं मौसम के जानकारों का मानना है कि ठंड के मौसम में अक्सर हवा के बहाव में फर्क आता है. हवा में नमी बढ़ने के कारण भी प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. इस समय मौसम के गिरते तापमान और हवा की रफ्तार कम होने से एक्यूआई लेवल बढ़ रहा है. ऐसे में अगर अगले 48 घंटे में स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ तो पर्यावरण पर काम करने वाली एजेंसियों को वैकल्पिक उपायों पर सोचना पड़ेगा. प्रदूषण की रोकथाम के लिए ग्रेप नियमों के तहत दिल्ली में फिर से ऑड-ईवेन फॉर्मूला लागू किया जा सकता है. इस साल दिल्ली में यह नियम अब तक लागू नहीं किया गया है.

प्रदूषण के कारण पूरे दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग की चादरें जम गई हैं. इसका असर विजिबिलिटी पर भी पड़ रहा है. डॉक्टरों का मानना है कि दीवाली से कहीं ज्यादा जानलेवा इस समय का प्रदूषण है. दिल्ली सरकार के लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) के मेडिसीन विभाग के सीनियर डॉक्टर और सेंटर फॉर ऑक्यूपेशनल एंड एनवायरमेंटल हेल्थ विभाग के सदस्य सचिव प्रोफेसर डॉ एमके डागा ने फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से कहा, ‘किसी भी प्रकार का प्रदूषण सेहत के लिए खतरनाक होता है. हमलोगों ने पिछले दिनों ही प्रदूषण को लेकर एक ठोस पहल की शुरुआत की थी. 25 से 30 प्रतिशत प्रदूषण गाड़ियों की वजह से होते हैं, जिसमें सुधार की जरूरत है. अब समय आ गया है कि कोयला और बायोमास का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर देना चाहिए. खासतौर पर कोयले से चलने वाले थर्मल प्लांट की संख्या में कमी आनी चाहिए.'

वहीं प्रदूषण विशेषज्ञों का मानना है कि इस मौसम में एक ही जगह प्रदूषित कण जमा होने लगते हैं. हवा में बहाव का भी अभाव रहता है. दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों तापमान कम होने से हवा में नमी आ जाती है और उसके साथ ही प्रदूषित कण मिल जाते हैं. इससे प्रदूषण बढ़ने का खतरा और बढ़ जाता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

हाल के वर्षों में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने के लिए कहीं न कहीं पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है. लेकिन, बीते कुछ दिनों से हरियाणा और पंजाब से पराली जलाने की एक भी घटना सामने नहीं आई है. इस साल 2017 की तुलना में हरियाणा-पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है. पराली को सर्दियों में दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा स्त्रोत माना जाता रहा है.

सरकारी आंकड़ों की मानें तो इस साल हरियाणा ने पंजाब की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. किसानों को सब्सिडी द्वारा समर्थित विकल्प चुनने में मदद करने के लिए सरकार के हस्तक्षेप से यहां के किसानों को काफी लाभ मिला है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के साथ राज्यों द्वारा साझा किए गए 30 सितंबर-30 नवंबर की अवधि के लिए पराली जलाने वाले मामलों के अंतिम आंकड़ों के अनुसार हरियाणा ने 2017 में 13 हजार 85 की तुलना में इस साल पराली जलाने के 9 हजार 232 मामलों की सूचना दी जिसमें की 29% की गिरावट दर्ज की गई. वहीं पंजाब में पिछले साल 67 हजार 79 की तुलना में इस साल 59 हजार 695 मामलों में 11% की कमी आई है.

कुलमिलाकर दिल्ली-एनसीआर में कंपकंपाती ठंड के साथ प्रदूषण से भी अब लोगों को खुद ही निपटना पड़ेगा. सरकार और कोर्ट की तमाम कोशिशों के बावजूद इस साल प्रदूषण में कोई खास कमी नहीं आई. केंद्र सरकार या राज्य सरकारों की तरफ से उठाए गए सारे कदम सिर्फ कागजी ही साबित हुए. ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि शायद नए साल में प्रदूषण कम करने की दिशा में सरकार कोई ठोस और कारगर कदम उठाए?