view all

लखनऊ एसिड हमला: राजनीतिक मुद्दे में तब्दील हुआ अापराधिक मामला

लखनऊ में एसिड अटैक पर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक बयानबाजी तेज है...

FP Staff

लखनऊ में एक बार फिर से एक महिला पर एसिड हमला हुआ है, इस महिला पर पहले भी दो बार एसिड हमले हो चुके हैं. इससे पहले इस महिला के साथ बलात्कार और हमले की और घटनाएं हो चुकी हैं.

लखनऊ के अलीगंज में रेप पीड़िता और एसिड सर्वाइवर इस महिला पर तीसरी बार तेजाब से हमला हुआ है. महिला पर तीन महीने पहले भी एसिड से हमला हुआ था. वह लखनऊ के अलीगंज में एक गर्ल्स हॉस्टल में रहती है.


इससे पहले मार्च महीने में रायबरेली से लखनऊ आ रही ट्रेन में कुछ लोगों ने उन्हें एसिड पिलाने की कोशिश की थी. इसके बाद से वो अस्पताल में भर्ती थीं. उस वक्त यूपी के नए-नए सीएम हुए योगी आदित्यनाथ भी अस्पताल में उससे मिलने पहुंचे थे, इसके बाद प्रशासन से लेकर हॉस्पिटल तक में उसके इलाज और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया था.

लेकिन इस बार की घटना के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान आया है कि इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद कैसे हमला हो सकता है. योगी आदित्यनाथ का कहना है, ‘घटना की जांच होनी चाहिए कि महिला पर वास्तव में कोई हमला हुआ है या नहीं.’

सीएम योगी ने वाराणसी में एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि हमें यह देखने की जरूरत है कि क्या महिला पर सचमुच कोई हमला हुआ है. जांच चल रही है और जल्द ही सबकुछ सामने आ जाएगा.

योगी आदित्यनाथ का बयान तब आया जब इस बार फिर से महिला ने आरोप लगाया कि उसपर दो अज्ञात लोगों ने तेजाब से हमला किया. विपक्ष ने इस मामले पर कानून व्यवस्था से जोड़ा है. ऐसे समय में जब योगी सरकार अपने 100 दिन पूरे होने की उपलब्धियां गिना रही हैं, विपक्ष को एक मुद्दा मिल गया है. लगातार बयानबाजी के बाद अभी तक एक उलझा हुआ अपराधिक मामला एक राजनीतिक मामले में तब्दील होता हुआ नजर आ रहा है.

पुलिस की दी गई जानकारी

पुलिस ने मामले में जानकारी देते हुए बताया कि महिला के दाईं तरफ चेहरे और कंधे पर तेजाब फेंका गया है. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सेंटर में महिला का इलाज किया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार पहले भी महिला को बलात्कार और एसिड अटैक की धमकी दी जाती रही हैं, जिसे देखते हुए महिला की सुरक्षा में हथियारबंद पुलिस कांस्टेबल को तैनात किया गया था.

महिला के अनुसार पूरी घटना

सुरक्षा व्यवस्था और जांच के बावजूद आखिर ऐसा क्या है जो इस तरह बार-बार हमले हो रहे हैं. धीरे-धीरे ये मामला इतना लंबा और पेचीदा हो गया है कि महिला के साथ हो रहे लगातार घटनाओं को संदिग्ध बना रहा है.

दरअसल ये महिला रायबरेली के ऊंचाहार गांव की रहने वाली 38 साल की महिला हैं. उनके दो बच्चे हैं. पति गांव में मजदूरी का काम करते हैं.

उनके अनुसार ये मामला साल 2008 से चल रहा है. महिला के अनुसार साल 2008 में दो व्यक्तियों ने उसके साथ बलात्कार किया था. इस हादसे के एक साल बाद 2009 में उसने उनलोगों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई. वहीं घटना के बाद रायबरेली पुलिस ने दो आरोपी भोंदू सिंह और गुड्डू सिंह को हिरासत में लिया था हालांकि उन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया. इसके बाद भी महिला के साथ 2011 और 2013 में एसिड हमला हो चुका है.

2013 के बाद वो रायबरेली से लखनऊ पहुंची और वहां वो एसिड अटैक सर्वाइवर द्वारा चलाए जा रहे शीरोज कैफ में काम करने लगी. जिसके बाद उनके अनुसार कई बार उनके परिवार (जो कि रायबरेली में ही रहता है) को धमकियां भी मिलती रहीं. मार्च में हुई घटना के पहले शीरोज कैफे में एक धमकी भरी चिठ्ठी भी आई थी जिसमें कैफे चला रहे लोगों को कहा गया था कि वे उस महिला की मदद करना छोड़ दें. वर्ना उसकी रगों में खून नहीं एसिड दौड़ेगा. शीरोज कैफे चला रहे लोगों से फर्स्टपोस्ट की बातचीत में उस चिठ्ठी की पुष्टि की गई थी.

महिला अभी बयान देने की हालत में नहीं है 

अभी महिला इस कदर जख्मी है कि वह अपना बयान देने की भी स्थिति में नहीं है. पुलिस का कहना है कि यह हमला उस वक्त हुआ है जब महिला हॉस्टल के बाहर फोन पर बात कर रही थी. आरोपियों ने हॉस्टल की दीवार पर चढ़कर महिला पर तेजाब फेंक दिया. वीडियो फुटेज की मदद से आरोपियों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है.

इस मामले में पुलिस ने रायबरेली में कुछ लोगों को हिरासत में लिया है. महिला का आरोप है कि उसके गांव (रायबरेली) के लोग ही इस हमले में शामिल हैं. उसका जमीन को लेकर 2008 से एक विवाद चल रहा है, जिसके चलते उसके साथ गैंगरेप भी हुआ था. गैंगरेप के इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था और यह मामला अभी कोर्ट में चल रहा है.

इतनी बार एसिड हमले, हत्या की कोशिश, धमकियां लगातार हो रही हैं. आरोपी गिरफ्तार होते हैं और सबूतों और गवाहों के अभाव में रिहा हो जाते हैं. फिर हमले, फिर आरोप और आखिरकार कोई भी नतीजा सामने नहीं आ रहा. जो भी इसे प्रशासन की नाकामी ही मानी जाएगी. जो अबतक किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है.