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कुरान में कहीं भी तीन तलाक के बारे में उल्लेख नहीं है: सीजेआई खेहर

सीजेआई ने कहा, कुरान में कहीं भी तलाक-ऐ-इबादत या तुरंत तीन तलाक के बारे में उल्लेख नहीं है

FP Staff

तीन तलाक पर सुनवाई के बीच बुधवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खेहर ने कहा कि वकीलों को यह नहीं सोचना चाहिए कि कोर्ट बेंच इस मामले से पूरी तरह वाकिफ नहीं है.

वरिष्ठ वकील वी गिरी के सवालों का जवाब देते हुए सीजेआई ने कहा, कुरान में कहीं भी तलाक-ऐ-इबादत या तुरंत तीन तलाक के बारे में उल्लेख नहीं है. इसके सिर्फ दो रूप एहसान और अहसान का ही इस पवित्र किताब में उल्लेख है.


फैसलों ने प्रथाओं को मार दिया है

गिरी ने कहा था कि पर्सनल लॉ में संवैधानिक रूप से दखलंदाजी पहले भी हुई है और वहां फैसलों ने प्रथाओं को मार दिया है. इस दौरान बेंच की तरफ कुरान करते हुए उन्होंने कहा, तलाक-ऐ-इबादत कुरान के सुरह 65 के पैरा 230 में है. इस पर चीफ जस्टिस मुसकुराए और उसे दोबारा पढ़ने को कहा.

सीजेआई ने कहा, 'आपने पहले भी पैरा पढ़ा है और इसके बाद पूरा दृश्य बता रहे हैं. कपिल सिब्बल ने भी कुछ सिलेक्टड चीज का उल्लेख किया है.'

घोषणा के बाद इद्दत की अवधि जरूरी

अगर आप कहते हैं कि हर वचन या घोषणा के बाद इद्दत की अवधि जरूरी है और यह तीसरा उदाहरण है जिसके बाद यह अपरिवर्तनीय हो जाता है. इसलिए कुरान में तलाक-ऐ-इबादत कहीं नहीं जगह पाता है.

इसका उल्लेख सिर्फ इसलिए कर रहा हूं कि यह जानना चाहिए कि यहां क्या हो रहा है. इस पर एडवोकेट गिरी ने कहा कि मैं अपनी गलती मानता हूं. यह सिर्फ मेरा अनुमान था.

जज ने सुरह 4 के 35वें आयत को भी पढ़ा और कहा इसके लिए मध्यस्थ की जरूरत होगी. इस मामले में सीजेआई के विश्वास को इग्नोर नहीं किया जा सकता है. आप पूरे पैराग्राफ को पढ़ेंगे तो पाएंगे कि यह भी ट्रिपल तालाक को पूरी तरह से शामिल नहीं करता है.

कुरान को हाथ में लेकर जस्टिस खेहर ने कहा, यह उन्होंने किसी से लिया है. यह किताब कहता है कि हर शुक्रवार को आप कहते हैं कि बिद्दत खराब है फिर भी इसे प्रैक्टिस में नहीं लाते हैं. और अब आप कह रहे हैं कि यह 1400 साल पुरानी आस्था है.

न्यूज़ 18 साभार