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छत्तीसगढ़: माओवादियों के गढ़ में बीपीओ, 400 युवा ले रहें हैं ट्रेनिंग

माओवादियों के सबसे अधिक प्रभाव वाले बस्तर के दंतेवाड़ा में प्रशासन के प्रयासों के बाद खुले बीपीओ में 400 जनजातीय बच्चे ले रहे ट्रेनिंग

FP Staff

देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक और माओवादियों के गढ़ माने जाने वाले दंतेवाड़ा में प्रशासन के प्रयासों से एक नई सुबह हो रही है. छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में पड़ने वाले इस जिले में रविवार को एक बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग सेंटर (बीपीओ) खुला. इस बीपीओ में करीब 400 युवाओं को काम पर रखा गया है.

'युवा' नाम से चलने वाले बीपीओ का कामकाज प्राइवेट कंपनियां देख रही हैं. इसमें काम करने के लिए युवाओं को चार हजार के तनख्वाह पर रखा गया है. इस दौरान वो टाइपिंग, तकनीक और अंग्रेजी बोलने की प्रैक्टिस करेंगे.


हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार, इस पूरे योजना को देख रहे सौम्य चक्रवर्ती ने कहा कि यहां काम कर रहे युवाओं को जो कंपनी हायर करेगी वह काम के अनुसार ज्यादा पैसा दे सकती है.

अबतक लगभग 10 कंपनियों ने इस योजना में अपनी दिलचस्पी जताई है जिनमें दो कंपनियां अंतराष्ट्रीय स्तर की हैं. सरकारी पॉलिटेक्निक भवन में चल रहे इस बीपीओ को केंद्र सरकार की योजनाओं का भी लाभ मिला है.

दंतेवाड़ा के कलेक्टर सौरभ कुमार ने कहा कि यह आइडिया यहां के जनजातीय युवाओं को यहीं पर रोजगार मुहैया कराने के लिए है. उन्होंने कहा कि हमें बीपीओ को शुरू करने में कुछ समस्यों का सामना करना पड़ा लेकिन अधिकारियों ने समस्याओं का सामाधान निकाल लिया.

चक्रवर्ती ने बताया कि युवाओं को इंडस्ट्री के हिसाब से ट्रेनिंग दी जा रही है. होस्टल और खाने की सुविधा भी इस दौरान फ्री है. इस ट्रेनिंग के बाद सबको फाइनल ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद भेजा जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि यहां 1000 युवाओं की क्षमता है लेकिन शुरुआत में 400 को रखा गया जल्द ही नई भर्तियां शुरू होंगी.

उन्होंने कहा कि शुरुआत में इस प्रोजेक्ट में युवाओं को जोड़ना मुश्किल था लेकिन हम 1000 रुपए देकर ट्रेनिंग कराने की योजना के साथ जब आए तब बच्चे जुड़ने लगे और यह काम कर गया.

बस्तर के अलग-अलग इलाकों से इस प्रोगाम में जुड़ने के लिए आए युवाओं में ज्यादातर जनजातीय युवा है.