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बस्तरः ग्रामीण इलाकों को जोड़नेवाली बसों को जला रहे हैं माओवादी

माओवादियों ने बस में सवार 40-45 यात्रियों और ड्राइवर को उतरने को कहा. इसके बाद बस में आग लगा दी

FP Staff

छत्तीसगढ़ में माओवादियों को समझ नहींं आ रहा किस तरह सुरक्षाबलों से निपटें. अब उन्होंने गांवों को शहरों से जोड़नेवाली बसों को जलाना शुरू कर दिया है. ताकि उनके होने की सूचनाएं पुलिस तक जल्दी न पहुंच सके. साथ ही पुलिस उन तक जल्दी न पहुंच सके.

हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक पिछले 14 साल में पहली बार मई 2017 में एक निजी ऑपरेटर ने द्रोणपाल टाउन से जगड़ागोंडा गांव के बीच बस सेवा शुरू की. इससे लगभग 50 गांवों के लोगों को लाभ मिल रहा था. रोजगार से व्यापार तक के लिए लोग इसका इस्तेमाल कर रहे थे.


सुकमा पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बीते शुक्रवार को 15 से अधिक माओवादियों का एक दस्ता चिंतागुफा से बुर्कापाल के रास्ते में रुका. इस रूट में चल रही एक बस को रोका. बस में सवार 40-45 यात्रियों और ड्राइवर को उतरने को कहा. इसके बाद बस में आग लगा दी.

हताशा में बसों को जला रहे हैं माओवादी 

बस रूट माओवादी गढ़ तक पहुंच को आसान बनाता है. हाल के दिनों में सुरक्षाबलों ने माओवादियों को भारी नुकसान पहुंचाया है. ऐसे में उन तक सुरक्षाबलों की पहुंच ना बने, इस वजह से बस को जलाने का काम किया गया है.

जानकारी के मुताबिक पिछले साल अप्रैल में बुर्कपाल में बस रूट पर एक हमले में माओवादियों ने 25 सीआरपीएफ के जवानों की हत्या कर दी थी.

सुकमा के एसपी अभिषेक मीणा ने बताया कि पुलिस या सीआरपीएफ के जवान निजी बस का इस्तेमाल नहीं करते हैं. इन बसों से केवल स्थानीय लोग ही यात्रा करते हैं. ऐसे में बसों को जलाने का कोई खास मतलब नहीं दिख रहा. माओवादी केवल परेशान होकर ऐसा कर रहे हैं.

(हिन्दुस्तान टाइम्स के लिए रितेश मिश्रा की रिपोर्ट)