view all

एनसीपीसीआर ने बिना वजह जानकारी देने से इंकार किया: सीआईसी

आवेदक ने संबंधित बच्चों के नाम और निजी विवरण नहीं मांगे थे इसके बावजूद एनसीपीसीआर ने उन्हें जानकारी नहीं दी

Bhasha

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. एनसीपीसीआर ने बिना वजह बताए आयोग के सामने लंबित पड़े मामलों की जानकारी देने से मना कर दिया था.

सीआईसी ने बाल अधिकार निकाय को बिहार से संबंधित दो साल से लंबित पड़े मामलों की जानकारी देने और निपटाए गए उन मामलों का ब्योरा देने के निर्देश दिए हैं जहां आरोपी को दोषी पाया गया. ब्योरे में मामले से संबंधित बच्चों के नाम और निजी सूचना को हटाने के लिए कहा गया है.


यह मामला अजित कुमार सिंह से जुड़ा हुआ है जिन्होंने एनसीपीसीआर द्वारा प्राप्त होने वाली शिकायतों की संख्या, ऐसी शिकायतों में जांच कार्रवाई की फोटोकॉपी, दिन के मुताबिक मामलों में लिए गए फैसले जहां आरोपी पर दोष सिद्ध हो गया हो और दी गई राहतों के बारे में जानकारी मांगी थी.

आवेदक ने संबंधित बच्चों के नाम और निजी विवरण नहीं मांगे थे. इसके बावजूद एनसीपीसीआर ने उन्हें जानकारी नहीं दी और इसके लिए निजी सूचना से संबंधित, सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 8(1) (जे) के अनुच्छेद का हवाला दिया.

एनसीपीसीआर का कदम गलत

सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने अपने हालिया आदेश में कहा, 'यह बिलकुल भी सही नहीं है कि एनसीपीसीआर उन शिकायतों पर उठाए गए कदमों से जुड़ी सूचना देने से इंकार कर रहा है जो कई सालों से उसके समक्ष लंबित पड़े हुए हैं.' आचार्युलु ने कहा कि एनसीपीसीआर ने निजता के अपवाद का हवाला देकर पूरी ही सूचना देने से इंकार कर दिया.

उन्होंने कहा कि यह सूचना आरटीआई अधिनियम की धारा 4(1) (बी) के सक्रिय होकर किए जाने वाले खुलासे के प्रावधानों के तहत दी जा सकती थी लेकिन इसके लिए कोई प्रयास नहीं किए गए.

उन्होंने कहा, 'एनसीपीसीआर ने एक कंसल्टेंट और सलाहकार को नियुक्त किया, जिन्होंने सूचना का सही तरीके से खुलासा करने के लिए मुख्य जन सूचना अधिकारी का मार्गदर्शन करने की बजाए उसे पूरी ही सूचना न देने के लिए गुमराह किया. यहां तक कि इन दोनों व्यक्तियों ने अस्वीकृति को उचित ठहराने के लिए कारण भी नहीं दिए.'

आयुक्त ने कहा कि ये अधिकारी आरटीआई अधिनियम की धारा 10 (1) के तहत न दी जा सकने वाली सूचनाओं से दी जा सकने वाली सूचनाओं को अलग-अलग करने में असफल रहे. धारा 10 (1) के तहत संवेदनशील सूचनाओं को हटाया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि आवेदक द्वारा मांगी गई जानकारी लोक हित में थी और एनसीपीसीआर की मुख्य काम के संबंध में मांगी गई थी.