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चारधाम यात्रा का हुआ समापन, बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट

बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ इी इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन हो गया

Bhasha

मंगलवार को उत्तराखंड के ऊंचे हिमालयी क्षेत्र स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. इसी के साथ इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन भी हो गया है. बदरीनाथ मंदिर समिति के जनसंपर्क अधिकारी हरीश गौड ने बताया कि शाम तीन बज कर 21 मिनट पर बदरीनाथ धाम के कपाट परंपरागत पूजा अर्चना और रीति रिवाज से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए.

कपाट बंद होने के मौके पर धाम की आखिरी पूजा में हिस्सा लेने के लिए हजारों श्रद्धालुओं के अलावा प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष अजय भट्ट और योग गुरू रामदेव भी मौजूद रहे. चमोली जिला स्थित भगवान विष्णु को समर्पित बदरीनाथ धाम के कपाट बंद करने के लिए सुबह से ही विशेष पूजाएं शुरू हो गई थीं. कपाट बंद होते समय मंदिर के पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबुदरी ने भगवान बदरीविशाल को माणा गांव से अर्पित घृत कंबल ओढ़ाया. भगवान को सर्दियों से बचाने के लिए सदियों से इस धार्मिक परंपरा का निर्वाह किया जाता है.


इस साल साढ़े 10 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

श्रद्धालु अब शीतकाल के दौरान भगवान बदरीविशाल के दर्शन जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में कर सकेंगे. बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ इी इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन हो गया. इस साल करीब साढे़ 10 लाख तीर्थयात्रियों ने भगवान बदरीविशाल के दर्शन किए.

गढवाल हिमालय के चार धामों के नाम से मशहूर तीन अन्य धामों, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के कपाट पहले ही शीतकाल के लिए बंद किए जा चुके हैं. सर्दियों में भीषण ठंड और भारी बर्फबारी की चपेट में रहने के कारण चारों धामों के कपाट अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं जो अगले साल अप्रैल-मई में दोबारा खोले जाते हैं.