दमनजीत कौर
10 साल के एक बच्चे के लिए खेलने-कूदने की उम्र होती है लेकिन 10 साल की उम्र में इस बच्ची को एक बच्चे को जन्म देना पड़ा. अपने मामा की हवस का शिकार हुई 10 साल की बच्ची ने गुरुवार चंडीगढ़ के जीएमसीएच-32 अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया है.
इस दौरान जिन डॉक्टरों ने उनका आॅपरेशन किया उनके मन में उस समय क्या चल रहा था इस बारे में जीएमसीएच-32 अस्पताल के अध्यक्ष डॉ. ए.के. जनमेजा ने बताया. उन्होंने कहा कि यह केस विशेष था इसलिए उन्होंने 11 डॉक्टरों की टीम गठित की जिसमें 3 गायनाकोलॉजिस्ट, 1 साइकोलॉजिस्ट, 1 रेडिओलॉजिस्ट, 1 एनेस्थीशियन, कार्डिओलॉजिस्ट, 1 पेईडीट्रिशियन, 1 डाइटीशियन, मेडिकल जुरिसप्रुडेन्स डॉक्टर शामिल थे.
इस दौरान डॉ. ए.के. जनमेजा ने बताया कि बच्ची की सिजेरियन डिलिवरी इसलिए की गई क्योंकि वह महज 10 साल की है और अभी तक उसके शरीर के अंग पूरी तरह से विकसित नहीं हुए थे. उन्होंने बताया की यह डिलीवरी अविश्वसनीय थी क्योंकि यह केस अलग था. इस केस पर उनकी 11 सदस्यीय टीम ने काम किया और काफी सावधानी से किया क्योंकि उनकी यही कोशिश थी कि मां और बच्ची दोनों स्वस्थ रहें जिसमें वह कामयाब रहें.
बच्ची खिलौने से खेलती, खुश रहती थी
डॉ. नवनीत टक्कर मुख्य ऑपरेटिंग सर्जन थीं जिन्होनें सर्जरी की और उनके साथ डॉ. भारती गोयल और डॉ. पूनम भी थीं. उन्होंने बताया कि उनको इस बच्ची को देखकर खुशी होती थी कि क्योंकि वह जब भी बच्ची के चेकअप के लिए उससे मिलते थे तो वह हमेशा खुश ही नजर आती थी और वह हमेशा किसी खिलौने के साथ खेलती होती थी या फिर टी.वी. देखती होती थी. जिसने उन्हें यह महसूस करवाया की वह भी उनके बच्चों की तरह है.
यह केस उनके और उनके पूरे अस्पताल के लिए खास बन गया क्योंकि सब उससे बहुत जुड़ गए थे और यह उनके लिए भी नया अनुभव था. उन्होंने उस बच्ची को अलग कमरे में रखा और उसके मां-बाप को सुरक्षा की सुविधा भी दी. वह जब भी बच्ची के मां-बाप से मिलते थे तो वह बहुत आश्वस्त दिखते थे और उन्होंने इस केस में बहुत सहयोग दिया.
डॉक्टर बताती हैं कि हमने इस बच्ची के आॅपरेशन में दिल के डॉक्टर को भी अपनी टीम में शामिल किया क्योंकि जब यह बच्ची 10 साल से भी छोटी थी तब इसके दिल में छेद था. हम सब डरे हुए थे मगर सब कुछ अच्छे से हो गया.
(साभार: न्यूज़18)