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चंपारण सत्याग्रह: आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी का पदार्पण

यह वह दौर था जब गांधी अफ्रीका से लौटने के बाद देश को करीब से जानने के लिए देशाटन पर थे, इसी कड़ी में वह 10 अप्रैल 1917 को बिहार के चंपारण पहुंचे

Bhasha

चंपारण सत्याग्रह के माध्यम से देश के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी का जुड़ना एक महत्वपूर्ण मोड़ था. इसी सत्याग्रह से अहिंसा के रूप में आजादी की लड़ाई को एक नया हथियार मिला और महात्मा गांधी ने स्वच्छता का संदेश भी दिया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी लाल किले से अपने पहले संबोधन में इसका जिक्र किया था.

अपनी इस महत्वाकांक्षी पहल को नई धार देने के लिए मोदी 10 अप्रैल को चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी समारोह के समापन के मौके पर लगभग 20,000 स्वच्छाग्रहियों को संबोधित करेंगे. हालांकि देशभर में विभिन्न माध्यमों से वह उस समय करीब चार लाख स्वच्छाग्रहियों को संबोधित कर रहे होंगे.


मोदी ने दो अक्तूबर 2019 तक देश को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य रखा है.

देश के स्वतंत्रता संग्राम में चंपारण सत्याग्रह का जिक्र करें तो गांधी को देश के करीब लाने और सत्याग्रह जैसे आजादी की लड़ाई के नए हथियार को मजबूती प्रदान करने में चंपारण सत्याग्रह का अमूल्य योगदान है. इसी सत्याग्रह ने देश में अहिंसक आंदोलन की नींव रखी और आजादी की लड़ाई को कांग्रेस से आगे बढ़ाकर एक जनांदोलन बनाया. आगामी 10 अप्रैल को इसके शताब्दी समारोह का समापन है जो पिछले साल 10 अप्रैल 2017 को शुरू हुआ था.

चंपारण सत्याग्रह गांधी के नेतृत्व में भारत का पहला सत्याग्रह आंदोलन था

यह वह दौर था जब गांधी अफ्रीका से लौटने के बाद देश को करीब से जानने के लिए देशाटन पर थे और इसी कड़ी में राज कुमार शुक्ला के निमंत्रण पर वह 10 अप्रैल 1917 को बिहार के चंपारण पहुंचे. चंपारण सत्याग्रह गांधी के नेतृत्व में भारत का पहला सत्याग्रह आंदोलन था.

उस समय अंग्रेजों के नियम-कानून के चलते किसानों को खाद्यान्न के बजाय अपनी जोत के एक हिस्से पर मजबूरन नील की खेती करनी होती था. इसके चलते किसान अंग्रेजों के साथ-साथ अपने भू-मालिकों के जुल्म सहने को भी बाध्य थे.

ऐसे माहौल में जब गांधी चंपारण पहुंचे तो लोग उन्हें अपना दुख-दर्द बताने पहुंच गए. गांधी ने अपने कुछ जानकार मित्रों और सलाहकारों से गांवों का सर्वेक्षण कराकर किसानों की हालात जानने की कोशिश करते रहे और फिर उन्हें जागरूक करने में जुट गए. उन्होंने लोगों को साफ-सफाई से रहने और शिक्षा का महत्व बताया.

चंपारण सत्याग्रह के बाद देश में हुए कई आंदोलन

गांधी की बढ़ती लोकप्रियता पुलिस को नागवार गुजरी और उन्हें समाज में असंतोष फैलाने का आरोप लगाकर चंपारण छोड़ने का आदेश दिया लेकिन सत्याग्रह के अपने प्रयोग से गुजर रहे गांधी ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया.

अदालत में सुनवाई के दौरान गांधी के प्रति व्यापक जन समर्थन को देखते हुए मजिस्ट्रेट ने उन्हें बिना जमानत छोड़ने का आदेश दे दिया, लेकिन गांधी अपने लिए कानून अनुसार उचित सजा की मांग करते रहे. इसी के तुरंत बाद 1918 में गुजरात के खेड़ा में एक और बड़ा सत्याग्रह खड़ा हुआ.

इसके बाद गांधी को असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी इसी तरह का समर्थन देखने को मिला और दांडी यात्रा में भी इसकी बानगी दिखी. उनके इसी सत्याग्रह ने जनता को जगाने के साथ-साथ एक सूत्र में पिरोने का काम किया.