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मेट्रो परियोजनाओं के लिए चाहिए फंड तो मानना होगा केंद्र का नियम

राज्य सरकारों को केंद्र सरकार की तरफ से मेट्रो के लिए आर्थिक सहायता हासिल के लिए इन पैरामीटर का पालन करना होगा. यह पहल 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत शुरू की गई है.

FP Staff

मेट्रो में इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट्स के इस्तेमाल के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को दिशानिर्देश जारी किए हैं. केंद्र का कहना है कि मेट्रो परियोजनाओं के लिए आर्थिक मदद हासिल करने के लिए राज्य सरकार को इन्हें अमल में लाना होगा. इस कदम का उद्देश्य मानकीकरण और स्वदेशीकरण हासिल करना है.

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, 'अनिवार्य पैरामीटर' मानकीकृत खरीद और स्वदेशीकरण के लिए विभिन्न मेट्रो रेल प्रणालियों के जरिए इस्तेमाल की जाने वाली बिजली की वस्तुओं के तकनीकी निर्देशों के बीच समानता हासिल करने के लिए है.


आधिकारियों का कहना है कि मेट्रो में लिफ्ट, एस्केलेटर, टनल वेंटिलेशन और एनवायरंमेंट कंट्रोल सिस्टम, पॉवर सप्लाय और ट्रेक्शन सिस्टम, इलेक्ट्रोनिक और मेकानिकल सिस्टम इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट्स में शामिल है.

मेक इन इंडिया

आधिकारियों का कहना है कि सभी राज्य सरकारों को अगर केंद्र सरकार की तरफ से मेट्रो को क्रियान्वित करने के लिए किसी प्रकार की आर्थिक सहायता हासिल के लिए इन पैरामीटर का पालन करना होगा. यह पहल 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत शुरू की गई है.

मंत्रालय के अनुसार जगहों के मुताबिक अलग तरह की लाइट अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन पर उपलब्ध करवाई जानी चाहिए. वहीं बिजली आपूर्ति इस तरह होनी चाहिए कि अगर बिजली आपूर्ति नहीं हो रही है तो 30 मिनट से भी कम समय के बैक-अप के साथ यूपीएस सिस्टम के जरिए 50 फीसदी बिजली की व्यवस्था की जा सके. इसके अलावा मेट्रो स्टेशन पर लिफ्ट न्यूनतम 13 यात्री (1000 Kg) क्षमता को तरजीह दी जानी चाहिए.

वहीं सार्वजनिक खरीद (भारत में बनाने की प्राथमिकता) का अनुपालन करते हुए कम से कम 50 फीसदी स्थानीय सामग्री सुनिश्चित करके खरीद को नियंत्रित किया जाएगा. मंत्रालय ने कहा कि पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली (ईसीएस) एयर कंडीशनिंग सिस्टम -वेंटिलेशन सिस्टम और स्टेशन धूम्रपान प्रबंधन- मानक निर्देशों के तहत यात्रियों और कर्मचारियों को ताजा हवा सुनिश्चित करने के लिए है.