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दिल्ली को धुंध से बचाने की तैयारी शुरू, क्या इस बार राजधानी में नहीं घुटेगा दम?

लगातार तीसरे साल धुंध के हालात न बनें, इसके लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अभी से तैयारियों में जुट गया है

FP Staff

पिछले दो साल सर्दियों में राजधानी दिल्ली धुंध में डूबी रही है. लगातार तीसरे साल ऐसे हालात न बनें, इसके लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अभी से तैयारियों में जुट गया है.

सीपीसीबी की 14 टीमें धुंध से लड़ने का प्लान बनाने में जुट गई हैं. बता दें कि सीपीसीबी 15 अक्टूबर से प्रदूषण और धुंध को लेकर अपनी योजना का कार्यान्वयन करने वाला था लेकिन किसी चीज की कमी न रहे जाए और तैयारियां अधूरी न रह जाए, इसके लिए 15 सितंबर से ही ये टीमें सक्रिय हो गई हैं.


दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए सीपीसीबी ने ईपीसी फंड के तहत विभिन्न संस्थाओं को 17 प्रोजेक्ट दिया है.

इस योजना में कई संस्थाएं शामिल हो रही हैं. पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) भी कुछ प्रयोग करने वाले हैं. ईपीसीए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान लागू करने वाला है.

इस बार बहुविभागीय जिम्मेदारी बांटी गई है. दरअसल पिछले साल सीपीसीबी, ईपीसीए, डीपीसीसी और एनजीटी की तरफ से अलग-अलग आदेश दिए गए थे, जिसकी वजह से निचले स्तर पर काफी उलझनें पैदा हो गई थीं और आदेश प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाए थे.

लेकिन इस बार ऐसी स्थितियों से बचने के प्रयास हैं इसलिए काम एक महीने पहले ही शुरू कर लिया गया है. इसकी एक और वजह ये भी है कि गुरुवार को एयर इंडेक्स 103 रहा. अबसे ज्यादा बारिश होने के भी आसार नहीं हैं, जिससे तापमान कम होगा और हवा का स्तर भी कम होगा. यानी ये कदम उठा लेना चाहिए.

इस बार बोर्ड नए यंत्रों से भी प्रदूषण से लड़ने का प्लान बना रहा है. इस बार ऐसे तीन नए यंत्र इस्तेमाल में लाए जाएंगे, जो हवा को साफ करने का काम करेंगे.

परियायंत्र

ये एयर फिल्टर यूनिट हैं जिन्हें किसी भी गाड़ी की छत पर लगाया जा सकता है. गाड़ी के चलने पर इस यंत्र में बने छेदों में हवा भरती है, जिसे यंत्र में लगे फिल्टर साफ करते हैं. यानी हवा की सारी गंदगी यंत्र में रह जाती है और साफ हवा निकलती है. ये एयर फिल्टर हवा की 98 प्रतिशत गंदगी को साफ कर सकते हैं. दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली में बसों में ऐसी लगभग 30 डिवाइसें फिट की जाएंगी. इस डिवाइस को फरीदाबाद के मानव रचना इंटरनेशन इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ के छात्रों ने बनाया है.

 वायु (WAYU)

नेशनल इन्वॉयर्नमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट और आईआईटी बॉम्बे ने द विंड ऑगमेंटेंशन एंड एयर प्यूरिफाइंग यूनिट (WAYU) यंत्र बनाया है. ये यंत्र तीन तरीकों से हवा को साफ करता है. पहला, ये पार्टिकुलेट मैटर को हटा देता है. दूसरा, जहरीले प्रदूषकों जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों को ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया से तोड़ देता है और हानिरहित कॉर्बन डाईऑक्साइड छोड़ता है. तीसरा, ये डिवाइस जैसे ही हवा को खींचता है, इससे हवा में टर्बुलेंस पैदा होता और इससे प्रदूषक बिखर जाते हैं.

दिल्ली के पांच जगहों- आईटीओ, आनंद विहार, शादीपुर, भीखाजी कामा और वज़ीरपुर में इन यंत्रों को लगाया जाएगा. ये यंत्र 90 प्रतिशत तक प्रदूषण खत्म कर सकते हैं.

ड्रग सप्रेसेन्ट्स

दिल्ली के प्रदूषण में 4% योगदान कन्सट्रक्शन और डिमॉलिशन साइटों से फैलता है. यहां धूल की मात्रा काफी ज्यादा होती है. मैग्नीशियम क्लोराइड ऐसा केमिकल है, जिसको धूल को रोकने में मदद ली जाती है. इसे सीमेंट और धूल में मिलाए जाने की योजना है. इससे धूल 8-10 घंटों तक नहीं फैलती. ये नई तकनीक दिल्ली की तीन कन्सट्रक्शन और डिमॉलिशन साइटों पर इस्तेमाल में लाई जाएगी.