अडानी ग्रुप के साथ मिलकर भारत में एके-सीरीज की आधुनिक असॉल्ट राइफलें बनाने के रूस के प्रस्ताव को मोदी सरकार ने खारिज कर दिया है. यह फैसला सरकार ने ऐसे समय पर लिया है जब फ्रांस के साथ 58,000 करोड़ रुपए राफेल विमान सौदे पर विवाद चल रहा है और हर रोज कांग्रेस इस मामले को लेकर सरकार पर निशाना साध रही है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राफेल सौदे को लेकर आरोपों के बीच मोदी सरकार ने रूस के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिसमें रूस ने अडानी ग्रुप के साथ मिलकर भारत में एके-सीरीज की आधुनिक असॉल्ट राइफलें बनाने की पेशकश की थी.
कब हुई थी प्रस्ताव की पेशकश?
सूत्रों ने कहा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की इस साल अप्रैल में हुई मॉस्को यात्रा के दौरान एके-103 राइफलों के निर्माण की पेशकश की गई थी.
एके-103 एके -47 राइफल का एक आधुनिकीकृत संस्करण है, जिसका व्यापक रूप से भारत की सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग किया जाता है. एके-47 राइफलों को उत्पादन दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद शुरू हुआ था.
मौजूदा नीति के अनुसार रूसी डिफेंस फर्म क्लाशनिकोव कन्सर्न इस परियोजना के लिए केवल सरकारी स्वामित्व वाली ऑर्डनेंस फैक्ट्री सहयोग कर सकती है. इन राइफलों के संयुक्त उत्पादन के लिए रूस की ओर से साझेदार वही कंपनी होगी, जो एके-47 सीरीज की राइफलें बनाती है. दोने देशों के बीच हुए समझौते में कोई भी पक्ष अपने लिए निजी क्षेत्र के सहयोगी का नाम नहीं सुझा सकता.
सरकार ने प्रस्ताव को खारिज करते हुए क्या तर्क दिया?
सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज किया है कि किसी भी विदेशी वेंडर के पास यह विकल्प नहीं है कि वह भारतीय कंपनी को संयुक्त उत्पादन के तौर पर पार्टनर चुन सके. साझेदार कंपनी चुनने में छूट न मिलने के बाद देश की ऑर्डिनेंस फैक्टरी को संभवतः प्रोडक्शन एजेंसी बनाया जा सकता है. रूस का प्रस्ताव ऐसे समय पर आया है जब सेना में लगभग 7 लाख राइफलों की खरीदने का लक्ष्य है.
(न्यूज 18 से साभार)