लगातर बढ़ती महंगाई से अपने कर्मचारियों और पेंशनधारियों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार महंगाई भत्ते यानी डीए में 2 से 4 फीसदी की बढ़ोत्तरी की घोषणा कर सकती है.
इस घोषणा से केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारियों और 58 लाख पेंशनधारियों को राहत मिलेगी. सरकार यह घोषणा मार्च महीने के आखिर में कर सकती है. डीए कर्मचारियों को महंगाई के मार से बचाने के लिए उनके बेसिक वेतन के हिसाब दिया जाता है.
हालांकि, लेबर यूनियन इस प्रस्तावित बढ़ोतरी से खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि इससे उन्हें महंगाई से लड़ने में मदद नहीं मिलेगी.
केंद्रीय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष केकेएन कुट्टी ने कहा कि केंद्र सरकार महंगाई भत्ते में 2 फीसदी की बढ़ोत्तरी के फार्मूले पर सहमति जताई थी. इस फार्मूले को 1 जनवरी, 2017 से लागू किया जाना है.
हालांकि, उन्होंने इतनी कम बढ़ोत्तरी पर यह कहते हुए नाराजगी जताई कि औद्योगिक मजदूरों के लिए जारी किया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर (सीपीआई-आईडब्ल्यू) हकीकत से बहुत दूर है. सीपीआई-आईडब्ल्यू के आधार पर ही महंगाई भत्ता बढ़ाया जाता है.
उन्होंने कहा कि लेबर ब्यूरो और कृषि मंत्रालय द्वारा वस्तुओं की जो महंगाई दर तय की गई है वह वास्तविक महंगाई दर में हुई बढ़ोत्तरी से काफी कम है. उन्होंने कहा कि लेबर ब्यूरो द्वारा जुटाए गए गलत आंकड़ों की वजह से सीपीआई-आईडब्ल्यू एक काल्पनिक संख्या मात्र है, जो हकीकत से बहुत दूर है.
पिछले वर्ष भी हुई थी डीए में 2 फीसदी की बढ़ोत्तरी
1 जनवरी से 31 दिसंबर 2017 के बीच सीपीआई-आईडब्ल्यू का औसत 4.95 फीसदी रहने का अनुमान है. चूंकि सरकार पिछले साल ही 1 जुलाई, 2016 से 2 प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ा चुकी है, इससे डीए में 2 प्रतिशत की और वृद्धि हो जाएगी.
डीए बढ़ाने के फॉर्मूले मुताबिक, केंद्र सरकार 12 महीने की खुदरा महंगाई का औसत निकालकर महंगाई भत्ते में वृद्धि करती है. सरकार महंगाई भत्ते की दर तय करने के लिए कीमत में बढ़ोत्तरी की दर में दशमलव के बाद के अंकों पर विचार नहीं करती है.
इस वजह से अगर महंगाई दर 2.95 प्रतिशत हो तो भी सरकार इसे 2 प्रतिशत ही मानती है. सरकारी कर्मचारियों को उनके बेसिक वेतन के अनुपात में महंगाई भत्ता दिया जाता है.