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क्या है ग्रेस मार्क्स का गड़बड़झाला जिससे डरे हुए हैं CBSE स्कूलों के छात्र

छात्रों को मानना है कि बोर्ड के इस फैसले के कारण उनके टॉप के कॉलेजों में दाखिला मिलने के आसार कम हो जाएंगे

FP Staff

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (CBSE) के स्टूडेंट्स को डर है कि बोर्ड द्वारा मॉडरेशन नीति को खत्म करने के फैसले का उनको बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है. टाइम्स ऑफ इंडिया पर छपी खबर के मुताबिक, छात्रों को मानना है कि बोर्ड के इस फैसले के कारण उनके राजस्थान व अन्य राज्यों के टॉप के कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में दाखिला मिलने के आसार कम हो जाएंगे.

अभी से कम हुई 50 प्रतिशत तादाद


राजस्थान ने सीबीएसई और आरबीएसई के छात्रों के बीच स्कोर्स का बैलेंस बनाए रखने के लिए पर्सेंटाइल फॉर्मूला अपनाने का फैसला किया है. इस फॉर्मूले के कारण राज्य के कॉलेजों में सीबीएसई के छात्रों की तादाद अभी से 50 प्रतिशत कम हो गई है. इससे पहले मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीएसई को अपनी मॉडरेशन नीति जारी रखने का आदेश दिया था.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब इस साल छात्र 12वीं की परीक्षा दे चुके हैं, तो ऐसे में यह पॉलिसी बदली नहीं जा सकती. सीबीएसई इस पॉलिसी को फिलहाल उन छात्रों के लिए जारी रखे, जो इस साल एग्जामिनेशन फॉर्म जमा कर चुके हैं.

बोर्ड के मॉडरेशन नीति को खत्म करने के फैसले का विरोध करते हुए कुछ अभिभावकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मॉडरेशन नीति खत्म करने के फैसला के विरोध में दायर याचिका में कहा गया था कि ये छात्रों के लिए विनाशकारी होगा.

इस फैसले के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सीबीएसई चेयरमैन राकेश चुतर्वेदी को भी तलब किया गया.

छात्रों के लिए होगा विनाशकारी

वहीं राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (RBSE) ने सीबीएसई को आश्वासन दिया है कि वो किसी भी हाल में छात्रों को बोनस मार्क्स नहीं देगा. हालांकि आरबीएसई द्वारा उठाए जा रहे इस तरह के कदम से सीबीएसई स्कूल खुश नहीं हैं और वो पर्सेंटाइल फॉर्मूले को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. राजस्थान में सोसाइटी फॉर प्राइवेट अनऐडेड स्कूल्स के प्रेसीडेंट दामोदर गोयल का कहना है कि पर्सेंटाइल फॉर्मूले में सीबीएसई और आरबीएसई के छात्रों में 20 प्रतिशत से ज्यादा का फर्क है.

क्या है मामला

दरअसल हाल ही में सीबीएसई ने एक अहम फैसले में मॉडरेशन नीति को खत्म करने की घोषणा की थी. आपको बता दें कि इसके तहत छात्रों को मुश्किल सवालों के लिए ग्रेस अंक दिए जाते रहे हैं. उच्च स्तरीय बैठक के दौरान यह फैसला किया गया.

मॉडरेशन नीति के अनुसार परीक्षार्थियों को खास प्रश्नपत्र में सवालों के कठिन प्रतीत होने पर 15 प्रतिशत अतिरिक्त अंक दिए जाते थे. हालांकि अगर कोई छात्र कुछ नंबर से परीक्षा पास करने से रह जाता है तो ऐसे में ग्रेस अंक देकर पास करने का प्रावधान जारी रहेगा. माना जा रहा है ये कदम 12वीं बोर्ड एग्जाम में मार्क्स और अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम्स में कट-ऑफ को नीचे लाने के लिए उठाया गया है.