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मेडिकल घोटाला: प्रसाद, गमला, बही कोर्डवर्ड से रची जाती थी साजिश

ऑडियो टेप में एक बिचौलिए ने कहा है कि काम कराने वाले एजेंट से अभी मिलना मुश्किल है क्योंकि 'चाय बेचने वाली सरकार सब पर निगाह रखे हुए है

FP Staff

लखनऊ मेडिकल कॉलेज घोटाला मामले में एक बड़ा पर्दाफाश सामने आया है. सीबाईआई इस मामले की जांच कर रही है जिसने घोटाले में शामिल बिचौलियों की बातचीत टैप की है. टैप किए गए ऑडियो में बिचौलियों के कई कोड वर्ड का पता चला है, जैसे-लगेज, स्टफ, बही, गमला आदि.

मेडिकल घोटाले के इसी मामले ने फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में खलबली मचा रखी है.


टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, ऑडियो में ओडिशा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज आई एम कुद्देसी और कथित बिचौलिए विश्वनाथ अग्रवाल व बीपी यादव की बातचीत है. यादव प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट से जुड़ा है. बातचीत में प्राइवेट मडिकल कॉलेज के प्रमोटरों की ओर से जूडिशरी से तरफदारी की मांग की गई है.  जिन प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों का इन्फ्रास्ट्रक्चर ठीक नहीं है, उनका अगर एडमिशन रोका जाता है तो इसमें राहत दिलाने की बात रिकॉर्डेड बातचीत में कही गई है.

एमसीआई से राहत दिलाने की बात

रिकॉर्डिंग में यह बात सामने आई है कि बिचौलियों ने कॉलेज के बिजनेस में लगे कई लोगों को आश्वस्त किया है कि उनकी पहुंच जूडिशरी तक है, इसलिए वे एमसीआई (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) के फैसलों से राहत दिला सकते हैं. एमसीआई ने जैसे तैसे चलने वाले कॉलेजों की मान्यता रद्द करने और नए एडमिशन पर रोक लगाने का फैसला किया था.

सीबीआई जांच के रडार पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के दो जज भी हैं.

'चाय बेचने वाली सरकार से सावधान'

बातचीत में बिचौलियों ने ऐसी चिंता जाहिर की है कि सरकार दलालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है, इसलिए फिलहाल सावधान रहने की जरूरत है. जैसा कि ऑडियो टेप में अग्रवाल ने कहा है, काम कराने वाले एजेंट से अभी मिलना  मुश्किल है क्योंकि 'चाय बेचने वाली सरकार सब पर निगाह रखे हुए है.' लेकिन ओडिशा के एक बिजनेसमैन ने काम करा देने की '500 परसेंट गारंटी' ली है.

'पिता',  'कैप्टन'करा देंग काम

ऑडियो में अग्रवाल ने कुद्देसी से एक ऐसे शख्स का जिक्र किया है जिसे वह 'पिता' और  'कैप्टन' बताता है. अग्रवाल ने कुद्देसी को आश्वस्त किया है कि उसके 'कैप्टन' से जो काम कहा जाएगा, वे 100 परसेंट कर देंगे.

रिकॉर्डिंग में एक जगह यादव ने अग्रवाल से कहा है कि वह 'जजों की जबान' पर भरोसा करता है. बदले में यादव को अग्रवाल को याद दिलाता है कि मामला तभी सुलटेगा जब उसे 'प्रसाद' मिलेगा.

दूसरी ओर सीबीआई ने इस रिकॉर्डेड बातचीत को न तो खारिज किया है और न ही मंजूर किया है. सीबीआई ने इस पर कोई टिप्पणी देने से भी मना कर दिया.