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मुजफ्फपुर शेल्टर होम कांड: CBI ने मामले से जुड़े सभी दस्तावेज अपने कब्जे में लिए

एफआईआर कॉपी, चार्जशीट कॉपी और केस डायरी सब अब सीबीआई के पास है

FP Staff

मुजफ्फपुर शेल्टर होम कांड में सीबीआई की सख्ती बढ़ती जा रही है. नीतीश कुमार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. खबर है कि सीबीआई ने पुलिस ने इस केस से जुड़े सभी दस्तावेज ले लिए हैं. एफआईआर कॉपी, चार्जशीट कॉपी और केस डायरी सब अब सीबीआई के पास है.

#MuzaffarpurShelterHome: CBI has taken all documents (such as FIR copy, chargesheet copy, case diary) related to this case from the court. pic.twitter.com/bnLD7FNQzD


बिहार और उत्तर प्रदेश सरकारें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की ओर से उनके 316 बाल गृहों में सोशल ऑडिट का विरोध कर रही हैं. इन संस्थानों में कुल सात हज़ार से अधिक बच्चे रहते हैं. आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ये जानकारी दी.

एनसीपीसीआर के एक अधिकारी ने बताया कि बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, केरल, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और दिल्ली भी अपने बाल गृहों के सोशल ऑडिट का विरोध कर रहे हैं. ये जानकारियां ऐसे समय सामने आई हैं जब बिहार और उत्तर प्रदेश में आश्रय गृहों में लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न के दो भयानक मामले सामने आए हैं.

लड़कियों के यौन उत्पीड़न का मुद्दा सबसे पहले अप्रैल में सुर्खियों में आया था जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने राज्य सामाजिक कल्याण विभाग को बिहार के आश्रय गृहों पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें मुजफ्फरपुर के एक शेल्टर होम में लड़कियों के यौन उत्पीड़न की संभावना की बात कही गई थी. बाद में मेडिकल जांच में इसकी पुष्टि हुई.

दूसरा मामला इस हफ्ते प्रकाश में तब आया जब उत्तर प्रदेश के देवरिया के एक बाल गृह से 24 लड़कियों को बचाया गया था. आरोप है कि उनका भी यौन उत्पीड़न हुआ है. अधिकारी ने कहा कि एनसीपीसीआर ने उच्चतम न्यायालय को राज्यों की ओर से सोशल ऑडिट का विरोध करने के बारे में जानकारी दे दी है जिसके बाद शीर्ष अदालत ने 11 जुलाई को कहा था कि ऐसा लगता है कि बाल अधिकार संगठन की ओर से सोशल ऑडिट का विरोध करने वाले राज्य कुछ छिपा रहे हैं.

इन आठ राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में स्थित 2211 बाल गृहों में करीब 43,437 बच्चे रह रहे हैं. बिहार और उत्तर प्रदेश में 316 बाल गृहों में 7,399 बच्चे रह रहे हैं. शीर्ष अदालत ने पिछले साल पांच मई को बाल गृहों के सोशल ऑडिट का आदेश दिया था.