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प्रद्युम्न मर्डर: पुलिस के बाद सीबीआई की थ्योरी पर भी क्यों हैं सवाल?

सवाल यह उठता है कि बस कंडक्टर को अभी भी क्यों नहीं क्लीनचीट दी जा रही है. कहीं ऐसा तो नहीं है कि सीबीआई सिर्फ शक के आधार पर ही हवा में तीर चला रही है

Ravishankar Singh

प्रद्युम्न मर्डर केस में सीबीआई की नई थ्योरी ने जहां हरियाणा पुलिस को बेनकाब किया है, वहीं सीबीआई की नई थ्योरी पर भी सवाल उठने लगे हैं.

प्रद्युम्न मर्डर केस में सीबीआई ने हरियाणा पुलिस की उस थ्योरी को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि हत्या में प्रयोग किए गए चाकू को बस कंडक्टर बस से लाया था.


हरियाणा पुलिस जिस चाकू को हत्या के मुख्य सुबूत के तौर पर पेश कर रही थी वह चाकू ही वास्तविक तौर पर हरियाणा पुलिस के लिए गले की फांस बन गई. सीबीआई ने अपनी जांच में यह पाया कि जिस चाकू को बस कंडक्टर अशोक द्वारा बस से लाने की बात की जा रही है, वह चाकू प्रद्युम्न के मर्डर में इस्तेमाल ही नहीं हुआ है.

सीबीआई सूत्र के मुताबिक सीबीआई ने एक और चाकू बरामद किया है, जिसने हरियाणा पुलिस की बस से चाकू लाने की थ्योरी को नकार दिया. गौरतलब है कि हरियाणा के गुरुग्राम स्थित रायन इंटरनेशनल स्कूल के शौचालय में 8 सितंबर को सात साल के प्रद्युम्न की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी. प्रद्युम्न इस स्कूल में दूसरी कक्षा का छात्र था. प्रद्युम्न की मौत के बाद से ही उसके माता-पिता हत्या की जांच सीबीआई से कारने की मांग कर रहे थे.

दबाव के बाद सीबीआई जांच के आदेश

काफी दबाव के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सीबीआई जांच की मांग स्वीकार कर ली थी. लेकिन, दूरदर्शी नजर में वो हरियाणा पुलिस की एफआईआर की पटकथा को जान भी गए थे. शायद इसी वजह से सीबीआई जांच में होने वाली फजीहत से बचने के लिए हरियाणा सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रही थी.

सीबीआई ने जांच की जिम्मेदारी संभालते ही वैज्ञानिक तरीके से जांच की दिशा को आगे बढ़ाने लगी. जहां हरियाणा पुलिस सिर्फ कबूलनामे के आधार पर हत्या को एक नया मोड़ देने की कोशिश कर रही थी वहीं सीबीआई एविडेंस तलाशने और फॉरेंसिक तरीके से केस सुलझाने पर ज्यादा जोर दे रही थी.

सीबीआई की जांच में यह खुलासा हुआ है कि प्रद्युम्न की हत्या स्कूल में पीटीएम टालने के लिए की गई थी. सीबीआई इस मामले में अब भी बस कंडक्टर को क्लीनचीट नहीं दे रही है.

अब सवाल यह उठता है कि बस कंडक्टर को अभी भी क्यों नहीं क्लीनचीट दी जा रही है? सीबीआई अभी भी क्यों बस कंडक्टर को शक की नजर से देख रही है? एक तरफ 11वीं के छात्र पर हत्या का शक जता रही है और दूसरी तरफ अशोक को भी छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. कहीं ऐसा तो नहीं है कि सीबीआई सिर्फ शक के आधार पर ही हवा में तीर चला रही है?

सीबीआई की थ्योरी पर भी सवाल

सीबीआई का यह भी कहना है कि यह यौन शोषन का मामला नहीं है. सीबीआई के मुताबिक आरोपी छात्र ने स्कूल के अपने कुछ दोस्तों के बीच एक-दो दिन पहले भी कहा था कि तुम लोग एग्जाम की चिंता मत करो क्योंकि यह एग्जाम टलने वाला है.

कुछ जानकारों का मानना है कि सीबीआई की यह थ्योरी समझ में नहीं आ रही है. जिस सीसीटीवी फुटेज को सीबीआई मुख्य आधार मान रही है उसमें आरोपी छात्र और बस कंडक्टर अशोक के अलावा पांच और छात्र नजर आ रहे हैं. बस कंडक्टर अशोक, आरोपी छात्र वहां कैसे और किस परिस्थिति में पहुंचा यह सीबीआई नहीं बता रही है.

इन सबके बावजूद सीबीआई की जांच करने की शैली और राज्य पुलिस की जांच की शैली में जमीन-आसमान का अंतर है. ऐसे में जानकारों को लगने लगा है कि दोनों थ्योरी के बीच ही मामला कहीं उलझता ही नहीं चला जाए और इस केस का भी हश्र कहीं आरुषि-हेमराज केस जैसा ही न हो जाए.