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कावेरी जल विवाद सुलझाने के लिए तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्ताव पारित

इस प्रस्ताव का मकसद केंद्र सरकार पर जल विवाद सुलझाने के लिए दबाव बनाना है

FP Staff

कावेरी जल विवाद सुलझाने के लिए तमिलनाडु विधानसभा ने कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड और कावेरी वाटर मॉनिटरिंग कमेटी बनाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया. इस प्रस्ताव का मकसद केंद्र सरकार पर जल विवाद सुलझाने के लिए दबाव बनाना है.

दक्षिण के कई राज्यों के बीच दशकों से चल रहे कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल में अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि कर्नाटक को 14.75 टीएमसी फीट पानी दिया जाए. जबकि तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी फीट पानी देने का आदेश दिया गया. इस तरह तमिलनाडु का 15 टीएमसी फीट पानी घटा दिया गया.

इस मुद्दे पर तमिलनाडु विधानसभा की बुलाई गई विशेष बैठक के बाद डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा, वक्त आ गया है कि कावेरी जल मुद्दे को लेकर सभी नेता एकजुट हों. केंद्र सरकार अपनी सुविधाओं के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भुनाना चाहती है.

फैसले में क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

इससे पहले, कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण ने 2007 में किए गए आवंटन के अनुसार कर्नाटक को 270 टीएमसीए फीट जल आवंटित किया था. वो अब बढ़कर 284.75 टीएमसीए फीट हो जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नदी के पानी पर किसी भी राज्य का मालिकाना हक नहीं है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्र, जस्टिस अमिताव रॉय और जस्टिस ए एम खानविलकर की पीठ ने यह आदेश सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने केरल को 30 और पुडुचेरी को 7 टीएमसी फीट पानी देने का आदेश दिया है. केरल और पुडुचेरी को मिलने वाले पानी में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

क्या है मामला?

कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल ने साल 2007 में किए गए आवंटन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. पीठ ने इस याचिका पर अपना फैसला पिछले साल 20 सितंबर को सुरक्षित रखा था.

शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु को कावेरी बेसिन के नीचे कुल 20 टीएमसीए फीट जल में से अतिरिक्त 10 टीएमसीए फीट भूजल निकालने की इजाजत भी दी. कोर्ट ने कहा कि बेंगलूरू के लोगों की 4.75 टीएमसीए फीट पेयजल और 10 टीएमसीए फीट भूजल जरूरतों के आधार पर कर्नाटक के लिए कावेरी जल का 14.75 टीएमसीए फीट आवंटन बढ़ाया गया.