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कार जाए पर ओरिजिनल चाभी न जाए... तभी मिलेगा इंश्योरेंस!

बीमा कंपनियों का कहना है कि उन्होंने कार चोरी के झूठे दावों से निपटने के लिए दो असली चाबियां पेश करने का नियम बनाया है

FP Staff

अगर आपकी कार चोरी हो जाती है तो आप सबसे पहले क्या करते हैं... यकीनन इंश्योरेंस क्लेम के लिए बीमा कंपनी को फोन करते होंगे. लेकिन बीमा कंपनियों के बदले हुए नियम से अब क्लेम हासिल करना आसान नहीं होगा.

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार यदि आपके पास आपकी गाड़ी की दो चाबियां नहीं हैं तो आपको क्लेम हासिल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. कार चोरी का इंश्योरेंस क्लेम करने के लिए बीमा कंपनी के सामने गाड़ी की दो ओरिजिनल चाबियों को पेश करना होगा. ज्यादातर बीमा कंपनियों ने यह नियम बना दिया है कि कार चोरी होने पर पॉलिसी होल्डर को व्हीकल की दो असल चाबियां पेश करनी होंगी.


हालांकि इंश्योरेंस रेग्युलेटरी ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (आईआरडीए) ने इस संबंध में कोई स्पष्ट नियम नहीं बनाया है. उसने इसे कंपनियों पर ही छोड़ दिया है. बीमा कंपनियों का कहना है कि उन्होंने कार चोरी के झूठे दावों से निपटने के लिए दो असली चाबियां पेश करने का नियम बनाया है.

दिल्ली के रहने वाले सुरेश कुमार (बदला हुआ नाम) ने जब सरकारी बीमा कंपनी से अपनी चोरी गई कार के क्लेम के लिए संपर्क किया तो उनसे ऐसी ही मांग की गई. बीते फरवरी महीने में उनकी होंडा सिटी कार उनके ही घर के बाहर से चोरी चली गई थी. सुरेश ने कहा, 'मैंने इंश्योरेंस कराते वक्त जिन कागजातों पर दस्तखत किए थे, तब यह नोटिस नहीं किया था कि क्लेम के दौरान 2 ओरिजिनल चाबियां भी सौंपनी होंगी. एजेंट ने मुझे बताया कि अगर मैं ऐसा नहीं करता हूं तो बीमा कंपनी मेरा क्लेम रिजेक्ट भी कर सकती है. किस्मत से मेरे पास कार की दोनों चाबियां मौजूद थीं.'

बीमा कंपनियों ने कार चोरी के क्लेम दाखिल करने के लिए बदले नियम

परिवहन मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे केस हो सकते हैं, जिसमें किसी व्यक्ति की गाड़ी की एक चाबी गुम हो गई हो और वो उसकी डुप्लिकेट (नकली) चाबी यूज कर रहा हो. विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'बीमा कंपनियों को किसी के क्लेम पर विचार करते हुए ऐसी स्थितियों को भी ध्यान में रखना चाहिए.'

इसके अलावा भी कार चोरी का क्लेम हासिल करने में कई मुश्किलें हैं, जिन्हें दूर किए बिना इंश्योरेंस का पैसा नहीं मिल सकता. सुरेश कुमार के पास अपनी कार की रजिस्ट्रेशन कॉपी (आरसी) थी, इसके बावजूद उन्हें अथॉरिटी लेटर हासिल करना पड़ा जिससे कि वो यह साबित कर सकें कि चोरी हुई कार के असली मालिक वो ही हैं.

सुरेश को अपनी कार चोरी होने के 5 महीने बाद भी क्लेम मिलने का इंतजार है. उन्हें इंश्योरेंस कंपनी से लेकर रिजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) तक कई बार जरूरी दस्तावेज जमा कराने के लिए चक्कर काटने पड़े.