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क्या चुनाव आयोग की ईवीएम को हैक किया जा सकता है?

आयोग ने कहा है कि ईवीएम कंप्‍यूटर नियंत्रित नहीं है, वो अपने-आप में स्वतंत्र मशीनें हैं

FP Staff

आम आदमी पार्टी ने दिल्‍ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर दावा किया है कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव है. लेकिन चुनाव आयोग ने अपने एक बयान में कहा है कि ऐसा नहीं हो सकता.

ईवीएम मशीनों के एम 1 (मॉडल1) का प्रोडक्‍शन 2006 तक पूरा कर लिया गया था और कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा किए जा रहे दावों के विपरीत एम1 मशीनों की सभी अनिवार्य तकनीकी विशेषताओं को ऐसा बनाया गया था कि उन्हें हैक न किया जा सके.


क्या हैक करना मुमकिन नहीं है?

आयोग ने कहा है कि ईवीएम कंप्‍यूटर नियंत्रित नहीं है, वो अपने-आप में स्वतंत्र मशीनें हैं. वो इंटरनेट या किसी अन्य नेटवर्क के साथ किसी भी समय कनेक्‍टेड नहीं हैं. इसलिए किसी रिमोट डिवाइस के जरिए उन्हें हैक करने की कोई गुंजाइश नहीं है.

आयोग के अनुसार ईवीएम में वायरलेस या किसी बाहरी हार्डवेयर पोर्ट के लिए कोई फ्रीक्वेंसी रिसीवर नहीं है. इसलिए हार्डवेयर पोर्ट, वायरलेस, वाईफाई या ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए किसी प्रकार की टैम्परिंग या छेड़छाड़ संभव नहीं है.

कंट्रोल यूनिट (सीयू) और बैलेट यूनिट (बीयू) से केवल एन्क्रिप्टेड या डाइनामिकली कोडिड डेटा ही स्वीकार किया जाता है. सीयू द्वारा किसी अन्य प्रकार का डेटा स्वीकार नहीं किया जा सकता.

सख्त हैं सुरक्षा प्रोटोकॉल

ये भी सवाल उठ रहा है कि क्या ईवीएम का निर्माण करने वाले इसमें कोई हेराफेरी कर सकते हैं?

इस पर आयोग का कहना है कि ऐसा संभव नहीं है. सॉफ्टवेयर की सुरक्षा के बारे में निर्माण के स्तर पर कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल हैं.

निर्माण के बाद ईवीएम को राज्य और किसी राज्य के भीतर जिले से जिले में भेजा जाता है. निर्माता इस स्थिति में नहीं हो सकते कि वे कई वर्ष पहले ये जान सकें कि कौन सा उम्मीदवार किस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेगा और बैलेट यूनिट में उम्मीदवारों की सीक्वेंस क्या होगी.

हर ईवीएम का होता है सीरियल नंबर

चुनाव आयोग ने कहा है कि हर ईवीएम का एक सीरियल नंबर है. निर्वाचन आयोग ईवीएम-ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके अपने डेटा बेस से यह पता लगा सकता है कि कौन सी मशीन कहां पर है. इसलिए कोई गड़बड़ी होने की संभावना नहीं है.