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किसी भी पुरुष को नामर्द कहने पर अब हो सकती है जेलः बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने अपने एक फैसले में कहा है कि किसी भी व्यक्ति को नामर्द कहना मानहानि के अंतर्गत आता है, ऐसे में यदि कोई शख्स ऐसी बात करता है तो उसे जेल जाने के साथ साथ जुर्माने का भी भुगतान करना पड़ सकता है

FP Staff

अब किसी भी पुरुष को नामर्द कहना आपको जेल पहुंचा सकता है. बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने अपने एक फैसले में कहा है कि किसी भी व्यक्ति को नामर्द कहना मानहानि के अंतर्गत आता है. ऐसे में यदि कोई शख्स ऐसी बात करता है तो उसे जेल जाने के साथ साथ जुर्माने का भी भुगतान करना पड़ सकता है. खबर है कि कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए एक महिला की कानूनी कार्यवाही से निर्वाहन आवेदन को अस्वीकार्य कर दिया, जिस पर उसके पति ने नामर्द बोलने का आरोप लगाया है.

21 नवंबर 2017 से ही दोनों के रिश्ते में दरार आ गई थी


दोनों पति-पत्नी के बीच तलाक का मामला चल रहा था. बीते 21 नवंबर 2017 को जब महिला अपने मायके गई तो उसके बाद से ही दोनों के रिश्ते में दरार आ गई थी. मायके में रहने के दौरान ही महिला ने कोर्ट में तलाक की अर्जी डाल दी थी. दोनों की एक बच्ची भी है. ऐसे में जब कोर्ट में तलाक का मामला चला तो बच्ची की कस्टडी पिता को मिल गई. महिला को कोर्ट का यह फैसला ठीक नहीं लगा और उसने कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दे दी कि उसका पति 'नामर्द' है.

परेशान पति ने पत्नी के घरवालों पर मानहानि का मुकदमा दायर किया

महिला के इन आरोपों से परेशान पति ने पत्नी के घरवालों पर मानहानि का मुकदमा दायर किया. सुनवाई के दौरान महिला ने कहा कि वह अपने पति की नामर्दगी को लेकर कुछ नहीं बोलना चाहती थी लेकिन उसकी हरकतों ने उसे ऐसा करने पर मजबूर कर दिया था. महिला ने कहा कि उसकी बेटी भी मेडिकल ओवुलेशन तकनीक से हुई है.

पत्नी ने अपने पति को धमकी दी थी

इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस शुकरे ने कहा कि महिला जानबूझकर अपने पति की छवि को खराब करना चाह रही थी. वैसे भी पत्नी ने अपने पति को धमकी दी थी की अगर उसने बात नहीं मानी तो वह उसकी छवि खराब कर देगी. ऐसे में कोर्ट का यह फैसला उन मर्दों के लिए मददगार साबित होगा जो नपुंसकता के आधार पर तलाक का सामना कर रहे हैं.

इस शब्द का प्रयोग और प्रकाशन दोनों ही मानहानि के अंतर्गत आएंगे

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, नपुंसक शब्द के तार्किक या व्याकरणिक अर्थ को अगर समझें तो यह शब्द किसी पुरुष के पुरुषत्व पर प्रतिकूल असर छोड़ता है. साथ ही दूसरों से उस पुरुष के बारे में अपमान वाली राय आमंत्रित करने की प्रवृत्ति रखता है. इसलिए धारा 499 के तहत इस शब्द का प्रयोग और प्रकाशन दोनों ही मानहानि के अंतर्गत आएंगे. वहीं आईपीसी की धारा 500 के तहत ऐसा करने वाले पर सजा का प्रावधान भी दिया गया है.