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कैबिनेट ने पास किया नेशनल हेल्थ पॉलिसी, अब इलाज के साथ मिलेगा हेल्थ सेस

केंद्रीय कैबिनेट ने पहले दो बार स्थगित करने के बाद नेशनल हेल्थ पॉलिसी को मंजूरी दे दी.

FP Staff

केंद्रीय कैबिनेट ने पहले दो बार स्थगित करने के बाद नेशनल हेल्थ पॉलिसी को मंजूरी दे दी. इसके जरिए देश में ‘सभी को निश्चित स्वास्थ्य सेवाएं’ मुहैया कराने का प्रस्ताव है.

सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले दो साल से लंबित हेल्थ पॉलिसी को मंजूरी दे दी.


पॉलिसी के अनुसार भारत में रहने वाला हर व्यक्ति स्वास्थ्‍य लाभ का हक़दार तो है लेकिन यह अभी भी यह शिक्षा के अधिकार की तरह मौलिक अधिकार नहीं होगा. पॉलिसी लागू होने के बाद एजुकेशन सेस की ही तरह हेल्थ सेस भी लग सकता है.

केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा संसद में खुद एक बयान देकर इस पॉलिसी के अहम पहलुओं की जानकारी विस्‍तार से देंगे.

इस हेल्थ पॉलिसी का फायदा इस तरह से है:

-स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि एक बड़े नीतिगत बदलाव के तहत यह नीति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) स्तर के दायरे में आने वाले सेक्टरों के फलक को बढ़ाती है और एक विस्तृत रूख का रास्ता तैयार करती है.

-एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘उदाहरण के तौर पर-अब तक पीएचसी सिर्फ टीकाकरण, प्रसूति-पूर्व जांच एवं अन्य के लिए होते थे. लेकिन अब बड़ा नीतिगत बदलाव यह है कि इसमें गैर-संक्रामक रोगों की जांच और कई अन्य पहलू भी शामिल होंगे.’

-नई हेल्‍थ पॉलिसी के तहत जिला अस्पतालों को बढ़ावा देने पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा और पहली बार इसे अमल में लाने की रूपरेखा तैयार की जाएगी.

-इस पॉलिसी के बाद सरकार का लक्ष्य है कि देश के 80% लोगों का इलाज पूरी तरह सरकारी अस्पताल में मुफ्त हो जिसमें दवा, जांच और इलाज शामिल होंगे.

-पॉलिसी में इंश्योरेंस की भी व्यवस्था की गई है. सभी मरीजों को बीमा का लाभ दिया जाएगा.

-मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में भी इलाज करवाने की छूट मिलेगी.

-स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत निजी अस्पतालों को ऐसे इलाज के लिए तय रकम दी जाएगी,

-मातृ और शिशु मृत्यु दर घटाने के साथ-साथ देशभर के सरकारी अस्पतालों में दवाइयां और रोगों की जांच के सभी साधन की उपलब्धता सुनिश्चित होगी.

-सरकार अपना ध्यान प्राथमिक चिकित्सा को मजबूत बनाने पर लगाएगी

-जिला अस्पताल और इससे ऊपर के अस्पतालों को पूरी तरह सरकारी नियंत्रण से अलग किया जाएगा और इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप में शामिल किया जाएगा

-इसमें वैसे रोगों की जांच भी शामिल होगी जो छूआछूत से पैदा नहीं होतीं.

-स्वास्थ्य पर खर्चा जीडीपी का 2.5% हो जाएगा और इसके तीन लाख करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है.

-इस समय यह जीडीपी का 1.04% है.

(टीवी-18 से साभार)