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घर खरीदने से फायदेमंद है किराए पर रहना, ऐसे समझें गणित

हाल में फ्लैट की कीमतों में भी बड़ी कमी आई है

FP Staff

रियल एस्‍टेट सेक्‍टर में सुस्‍ती का असर रेंटल मार्केट पर भी हुआ है. पिछले कुछ समय से मकानों व फ्लैट के रेंट में शायद ही कोई इजाफा हुआ है, बल्कि कुछ जगहों पर तो इसमें कमी आई है. दूसरी तरफ होम लोन के रेट्स भी लगातार कम हुए हैं और ये लगभग 7 साल के निचले स्‍तर पर आ गए हैं.

हाल में फ्लैट की कीमतों में भी बड़ी कमी आई है. ऐसे में इन दिनों हर किसी के जेहन में यह सवाल कौंध रहा है कि आखिर क्‍या करें- अपना घर लें या रेंट पर रहें- आज हम बता रहे हैं कि आखिर आपको क्‍या करना चाहिए-


बैंक ब्‍याज दर कम होने के फायदे

बैंकों की ब्‍याज दरों में पिछले लगभग दो साल के दौरान औसतन 1.5 फीसदी की कमी आई है. एसबीआई ने तो 1.75 फीसदी तक की कमी की है. अगर किसी ने 20 साल के लिए 20 लाख रुपए का लोन ले रखा है तो मासिक ईएमआई पर लगभग 2000 रुपए तक की बचत हो रही है और साल में लगभग 24 हजार रुपए बच जाएंगे.

अब इस तरह समझें गणित को

अगर आप दिल्‍ली या नोएडा में 50-60 लाख रुपए का फ्लैट किराए पर लेते हैं तो आपको रेंट के रूप में प्रति महीने औसतन 12-15 हजार रुपए देने होंगे. वहीं अगर आप यही घर खरीदते हैं तो आपको 60 लाख रुपए की कीमत पर 12 लाख रुपए डाउन पेमेंट देने होंगे और बाकी 48 लाख रुपए आप बैंक से ले सकते हैं, जिस पर आपको लगभग 40-43 हजार रुपए के बीच मासिक ईएमआई देनी होगी.

इस तरह एक ही फ्लैट के लिए आपको रेंट की तुलना में खरीदने की स्थिति में कई गुना अधिक रकम देनी होगी. ईएमआई पर रेपो रेट बढ़ने या कम होने का भी असर होगा.

प्रॉपर्टी के वैल्‍यूएशन में कम इजाफा

हाल के वर्षों के ट्रेंड को देखते हुए कहा जा सकता है कि पहले की तरह अब प्रॉपर्टी के वैल्‍यूएशन में अधिक इजाफा नहीं हो रहा है. पहले 4-5 साल में वैल्‍यूएशन दो गुना हो जाता था, अब 10 साल में दोगुना होने का दावा भी नहीं किया जा सकता है.

एसआईपी में पैसे डालकर रहें रेंट पर

अगर आप महज 45 हजार रुपए मासिक रूप में 10 साल तक एसआईपी में डालते हैं तो अगले 10 साल में अनुमानित रूप से 12 फीसदी ग्रोथ के साथ यह रकम 1 करोड़ रुपए से भी अधिक हो सकती है. अगर आपकी प्रॉपर्टी की वैल्‍यू में इस दौरान 2.5 गुना की वृद्धि होती है, तब जाकर ही आप एसआईपी के बराबर पहुंच पाएंगे, जो वर्तमान स्थिति को देखकर संभव नहीं लगता.

जॉब की बदल जाती है जगह

आज के युवा जिस तरह की जॉब करते हैं, उसमें जगह की कोई निश्चितता नहीं रहती है. आज कोई दिल्‍ली में तो कम बेंगलुरु, मुंबई या विदेश के किसी शहर में काम कर सकता है. दिल्‍ली जैसा शहर भी इतना बड़ा कि एक कोने से दूसरा कोना जाने में काफी समय लग जाता है. जबकि एक जगह फ्लैट ले लेने से उस जगह के प्रति एक तरह का आग्रह डेवलप कर जाता है. इसका बुरा असर करियर की संभावनाओं पर होता है.

क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट

रियल एस्‍टेट एक्‍सपर्ट प्रदीप मिश्रा ने बताया कि वर्तमान परिदृश्‍य में किराए पर रहना हितकर है. उनके अनुसार जिस तरह प्रॉपर्टी कीमतों में अब एप्रिशिएशन नहीं हो रहा है, उससे निवेश के लिहाज से तो यह अच्‍छा नहीं ही रह गया है, बल्कि रेंटल कम होने से किराये पर रहना किफायती हो गया है.

ऐसे में अगर कोई एंड यूजर के रूप में फ्लैट लेना चाहता है तो उसे अपनी जिंदगी और जॉब से जुड़ी पूरी संभावनाओं की स्‍टडी कर लेनी चाहिए.

[न्यूज़ 18 इंडिया से साभार]