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रेपो रेट में कटौती: आम आदमी तक कब पहुंचेगा रेट कट का फायदा!

स्टेट बैंक ने बचत खाते पर ब्याज घटा दिया है, जल्द दूसरे बैंक भी यह कदम उठा सकते हैं

Rajesh Raparia

आखिरकार आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर दी है. इसका इंतजार उपभोक्ताओं से ज्यादा कारोबारियों और सरकार को ज्यादा था. अब रेपो रेट 6 फीसदी हो गया है. यह पिछले सात सालों के न्यूनतम स्तर पर है.

क्या है रेपो रेट?


रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को कर्ज मुहैया कराता है. अधिकाश बैंक विशेषज्ञों को उम्मीद है कि इससे होम लोन, पर्सनल और कारोबारी कर्ज सस्ते होंगे. इससे कर्ज की किस्त कम होने की पूरी उम्मीद जतायी गई है.

क्या है रिवर्स रेपो रेट?

रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट को भी 0.25 फीसदी घटाकर 5.75 फीसदी कर दी है. इस रेट पर बैंक आरबीआई में नकदी जमा कराते हैं. रिजर्व बैंक की 6 सदस्य वाली मौद्रिक नीति समिति ने बहुमत से रेपो रेट घटाने का फैसला किया है.

समिति के एक सदस्य ने रेपो रेट 0.50 फीसदी घटाने की मंशा जताई थी. बाजार, सरकार और बैंक को भी 0.50 फीसदी ब्याज दर कटौती की पूरी उम्मीद थी, क्योंकि महंगाई ऐतिहासिक रूप से अपने न्यूनतम स्तर पर है.

रिजर्व बैंक ने इस ऐतिहासिक तथ्य को माना है. पर उसे लगता है कि निकट भविष्य में महंगाई अपने न्यूनतम स्तर से फिर उठ सकती है. रिजर्व बैंक की ताजा ब्याज दर कटौती में शेयर बाजार में निराशा ही देखी गयी है. यही हाल कमोवेश सरकारी हलकों का है.

केंद्रीय बैंक है नाराज

2015 से केंद्रीय बैंक रेपो रेट में 2 फीसदी कटौती कर चुका है. उस अनुपात में बैंकों ने कर्ज सस्ते नहीं किए हैं. ग्राहकों को पूरा लाभ नहीं देने के रवैये से पूर्व गर्वनर रघुराज राजन भी नाराज थे और मौजूद गर्वनर उर्जित पटेल भी. पर उर्जित पटेल कुछ ज्यादा नाराज नजर आते हैं.

केंद्रीय बैंक ने अपने वक्तव्य में बैंकों के इस रवैए पर सख्त टिप्पणी की है कि कर्ज देने के नए सिस्टम के बावजूद ग्राहकों को मिला लाभ असंतोषजनक है. यह सच है कि बैंकों ने जिस तेजी से जमा राशियों पर ब्याज दर में कटौती की है, उतनी तेजी से कर्ज की ब्याज दर में कटौती नहीं की है.

ब्याज दर कटौती में बैंक 6 महीने से 1 साल तक समय लगा देती है पर जमा राशि पर तत्काल प्रभाव से ब्याज दर बैंक कम कर देती हें. इससे ब्याज दर कम करने का केंद्रीय बैंक का मकसद ही विफल हो जाता है. बैंकों के इस रवैये से नाराज हो कर रिजर्व बैंक ने इस समस्या के अध्ययन के लिए आंतरिक पैनल का गठन किया है. पर इस से बैंकों में कोई घबराहट नहीं है.

बैंकों का कहना है कि रिजर्व बैंक के पैनल बनाने की असली वजह क्या है? कहा जा सकता है कि रिजर्व बैंक की नाराजगी को बैंकों ने बंदर घुड़की मान कर टरका दिया है. एचडीएफसी के चेयरमैन केकी मस्त्री का साफ कहना है कि रेपो रेट कटौती का मतलब यह नहीं है कि इससे बैंकों की फंड लागत कम हो जाती है.

क्या बाजार में आएगी तेजी?

अरसे से केंद्रीय बैंक पर संगीन आरोप रहा है कि ब्याज दर कम न करने के उसके अड़ियल रवैये से विकास और निवेश का चक्र अटका हुआ है. अर्थशास्त्र की सामान्य मान्यता है कि ब्याज दरों में कमी हाने से बाजार में मांग बढ़ती है, मांग में बढ़ोतरी होने से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलता है और रोजगार में इजाफा होता है. 2014 से अब तक केंद्रीय बैंक दो फीसदी रेपो रेट कम कर चुका है.

हर बार यह उम्मीद जताई जाती है कि इससे आवासीय, वाहन और कारोबारी कर्जों की मांग में बढ़ोतरी होगी. इस बार भी इन क्षेत्रों की मांग में तेज उछाल आने की उम्मीद है, जिससे बाजार में बहार आ सकती है. पर यह इस बात पर निर्भर है कि बैंक ब्याज दर कटौती का लाभ कितनी तेजी से ग्राहकों को देती हें.

भारतीय स्टेट बेंक की चेयरपर्सन अरुंधति राय का कहना है कि रिजर्व बैंक के कदम से कर्ज और डिमांड साइकिल में धीरे-धीरे सुधार आना चाहिए.

बचत खातों पर घटता ब्याज!

मालूम हो कि भारतीय स्टेट बैंक ताजा ब्याज दर कटौती से ऐन पहले बचत खातों में आधा फीसदी की कटौती कर चुकी है. संकेत साफ है कि सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज दर घटाने का फैसला दूसरे बैंक भी देर सवेर जरूर करेंगे.

आधिकारिक रूप से वित्त मंत्रालय के आर्थिक कामकाज विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने रिजर्व बैंक की ताजा कटौती का स्वागत किया है. पर अनेक वित्त अधिकारी इस 0.25 फीसदी की कटौती से निराश हैं.

इन अधिकारियों की दबी इच्छा थी कि केंद्रीय बैंक को कम से कम आधा फीसदी से एक फीसदी की कटौती करनी चाहिए, क्योंकि महंगाई ऐतिहासिक रूप से पिछले कई महीनों से कम बनी हुई है. वित्त अधिकारियों को इस कटौती की उम्मीद जनवरी से ही बन गयी थी.

नया नहीं है द्वंद

वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक यह द्वंद नया नहीं है. पिछले दिनों यह रार सार्वजानिक हो गई थी, जब वित्त मंत्रालय के सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम ने केंद्रीय बैंक के इस अड़ियल रवैये पर खुल कर अप्रसन्नता व्यक्त की थी.

निकट भविष्य में सरकार की ब्याज दर में बड़ी कटौती की मांग पूरी होगी, इसमें संदेह है. रिजर्व बैंक ने अपने नीति वक्तव्य में साफ कहा है कि भविष्य में महंगाई बढ़ सकती है, लेकिन महंगाई 4 फीसदी के लक्ष्य के अंदर ही रहेगी.

रिजर्व बैंक ने यह भी सलाह दी है कि विकास दर तेज करने के लिए सरकार को निजी निवेश को जागृत करने, बुनियादी ढांचे में अवरोधों को दूर करने और प्रधानमंत्री आवास योजना पर ज्यादा ध्यान की तत्काल आवश्यकता है.संदेश साफ है कि अच्छे दिन लाने की मूल जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है,भारतीय रिजर्व बैंक की नहीं.