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जीएसटी इंपैक्ट: नया घर खरीदने से पहले कुछ बातों को जानना जरूरी

रिअल एस्टेट में निवेश करने या प्रॉपर्टी खरीदने से पहले जीएसटी टैक्स के बारे में सही जानकारी होना जरूरी

FP Staff

अगर आप अपने लिए घर खरीदने की सोच रहे हैं तो 1 जुलाई से देश भर में लागू हुए जीएसटी को लेकर आपके मन में तमाम तरह के सवाल उमड़ रहे होंगे. लागू हुए नए जीएसटी कानून का मुख्य पहलू यह है कि आज क्या हो रहा है और भविष्य में क्या होगा इसके अंतर को जानना और समझना है.

मैजिकब्रिक्स ने नए सिद्धांतों की सूची तैयार की है जिसे आपको जानने की जरूरत है, खास तौर पर अगर आप रियल एस्टेट में निवेश करना चाहते हैं. ताकि जब आप प्रॉपर्टी खरीदने जाएं तो आपको इस नए टैक्स के बारे में सही जानकारी हो.


डबल जीएसटी

कर संग्रह को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें अपनी-अपनी भूमिका अदा करती हैं. बात अगर डबल जीएसटी की करें तो इसका मतलब है कि अगर आप कोई भी सामान खरीदते हैं उसपर दोनों ही सरकारें आपसे टैक्स वसूलेंगी.

हर राज्य का अपना अलग जीएसटी अधिनियम (एसजीएसटी) और राज्य नियम होंगे. मसलन, दिल्ली में दिल्ली जीएसटी कानून होगा जबकि, हरियाणा का अपना जीएसटी कानून होगा. इसी तरह, केंद्र सरकार ने केंद्रीय जीएसटी कानून (सीजीएसटी) लागू किया है. माल और सेवाओं के अंतरराज्यीय लेनदेन के मामले में, यह आईजीएसटी या संकलित सामान और सेवा कर बन जाता है आईजीएसटी के बारे में बताने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है, सिवाय इसके कि केंद्रीय घटक और राज्य घटक को एक कर, आईजीएसटी नाम दिया गया है.

क्या क्या शामिल होगा ?

नई कर व्यवस्था के तहत, कई तरह के करों को खत्म कर दिया जाएगा. केंद्र सरकार के नजरिए से केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सर्विस टैक्स, सीमा शुल्क के दो हिस्से, जो कि काउंटरवैलिंग ड्यूटी और विशेष अतिरिक्त शुल्क खत्म होकर  जीएसटी में मिल जाएंगे. इसी तरह राज्यों के हिस्से के वैट, एंट्री टैक्स, ऑक्ट्रौय, खरीद कर, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स और अलग-अलग उपकरों और अधिभारों से सभी को नए कर व्यवस्था में शामिल कर लिया जाएगा.

क्या रहेगा ?

रिअल एस्टेट के नजरिए से, स्टांप शुल्क, जो एक राज्य लेवी है, रहता है. वर्तमान में जिस तरह से बेसिक कस्टम ड्यूटी लागू होता है, वो वैसे ही लागू रहेगा. सीमा शुल्क पर 3 फीसदी की दर से लागू होने वाला सेस भी जारी रहेगा. निर्माणाधीन संपत्तियों पर जीएसटी 18  फीसदी (प्रभावी दर 12 फीसदी) लागू होगा. केपीएमजी पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) प्रियजित घोष कहते हैं, 'जब जीएसटी के दायरे से बिजली का इस्तेमाल किया जाता है, तो पानी के शुल्क पर रिआयती जीएसटी लगेगा.'

अपंजीकृत वेंडर

जीएसटी अधिनियम के अनुसार जिसका सालाना कारोबार 20 लाख रुपए से कम है वह जीएसटी के तहत पंजीकृत (रजिस्टर्ड) नहीं हो सकता है या जीएसटी का भुगतान नहीं कर सकता है. प्रियजित घोष ने कहा, 'अगर आप ऐसे लोगों से सामान खरीदते हैं जो अपंजीकृत हैं तो आपको उनकी ओर से जीएसटी का भुगतान करना होगा.' उदाहरण के लिए, यदि कोई डेवलपर अनाधिकृत शख्स से नदी से निकाली गई रेत खरीदता है जो पंजीकृत नहीं है और जीएसटी नहीं वसूलता है, तो डेवलपर को उसकी ओर से कर चुकाना होगा और फिर जीएसटी भुगतान पर एक क्रेडिट लेना होगा.

रिवर्स चार्ज

रिवर्स चार्ज प्रक्रिया का मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति अपंजीकृत डीलर के साथ खरीद-फरोख्त करता है, तो उसे 30 दिन के अंदर रिवर्स चार्ज प्रक्रिया के तहत कर देना होगा. प्रियजित घोष बताते हैं कि 'पिछली सरकार के दौरान, किसी को टैक्सी किराए, कानूनी सेवाओं या सड़क से माल ढुलाई जैसी कुछ सेवाओं के इस्तेमाल के लिए सर्विस टैक्स का भुगतान करना पड़ता था. इसी व्यवस्था को जीएसटी के तहत शामिल किया गया है, जिसका मतलब है कि निश्चित सेवाओं के लिए जीएसटी का भुगतान करना होगा और बाद में उसके लिए दावा करना होगा.'