टाटा समूह और इसके पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सायरस मिस्त्री को पिछले साल टाटा समूह ने चेयरमैन के पद से हटा दिया था. इसके बाद मिस्त्री ने टाटा समूह के कई लोगों पर गंभीर आरोप लगाए थे. इसके बाद टाटा ने मिस्त्री को टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों से भी जीबीएम के द्वारा हटा दिया था.
इसके बाद यह माना जा रहा था कि यह मामला ठंडा हो गया है. लेकिन मंगलवार को यह विवाद फिर से सतह पर आ गया. मुंबई की एक अदालत ने टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी वेंकटरमन रामचंद्रन की ओर से दायर किए गए मानहानि के मुकदमे को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया. अब साइरस मिस्त्री, शापोरजी मिस्त्री और साइरस इनवेस्टमेंट्स ऐंड सटर्लिंग इनवेस्टमेंट्स के अन्य डायरेक्टर्स के खिलाफ मानहानि का मुकदमा चलेगा.
अदालत ने सभी आरोपियों को 24 अगस्त को अगली सुनवाई में पेश होने का आदेश दिया है. वेंकट ने मानहानि के लिए 500 करोड़ रुपए और बिना शर्त माफी की मांग की है. वेंकट के मुताबिक टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद साइरस ने एक चिट्ठी में उन पर 22 करोड़ की लेनदेन में गड़बड़ी का आरोप लगाया, जो बेबुनियाद था. साथ ही नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में चल रहे केस के दौरान भी साइरस ने कई झूठे आरोप लगाए.