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ऊंटनी के दूध की बिक्री में 111 प्रतिशत का उछाल

कच्चे दूध की बिक्री 2013-14 में 5,088 लीटर से 79.32 प्रतिशत बढ़कर 2017-18 में 9,124 लीटर हो गई है

FP Staff

देशभर से बढ़ती मांग के कारण कच्चे और पाश्चरीकृत ऊंटनी के दूध की बिक्री में 2013-14 के मुकाबले क्रमश: 79 प्रतिशत और 111 प्रतिशत का उछाल आया है. ऊंटनी का दूध विभिन्न बीमारियों के इलाज में काम आता है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

बीकानेर स्थि राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र ऊंटनी (एनआरसीसी) के आंकड़ों के मुताबिक कच्चे दूध की बिक्री 2013-14 में 5,088 लीटर से 79.32 प्रतिशत बढ़कर 2017-18 में 9,124 लीटर हो गई है.


वहीं , ऊंटनी के पाश्चरीकृत दूध की बिक्री 2013-14 में 1,145 लीटर से बढ़कर 2017-18 में 2,145 लीटर हो गयी है. इसमें 111.44 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

मिल्क पार्लरों के माध्यम से ऊंटनी के दूध और उसके बिक्री के माध्यन से आय 2017-18 में 11.98 लाख रुपये रही , जो कि 2013-14 में 3.37 लाख रुपये थी.

एनआरसीसी के निदेशक वी पाटिल ने कहा, 'ऊंट के कच्चे और पाश्चरीकृत दूध की खपत स्वास्थ्य लाभ के लिए होती है. विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों में यह सिद्ध हुआ है कि ऊंट का दूध डायबिटीज, ऑटिज्म और गठिया जैसी बीमारियों में लाभदायक है. इसमें प्रोटीन , विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक होती है.'