राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के टी एस तुलसी नेट न्यूट्रिलिटी को मौलिक अधिकार घोषित कराने के लिए बजट सत्र में प्राइवेट बिल पेश करेंगे. तुलसी ने कहा, राज्यसभा में भी उन्होंने यह मुद्दा उठाया था लेकिन सरकार ने कोई आश्वासन नहीं दिया.
उन्होंने कहा, मुझे सरकार या टेलीकॉम मिनिस्ट्री से कोई जवाब नहीं मिला. लिहाजा मैंने प्राइवेट बिल लाने का फैसला किया है. तुलसी की दलील है कि इंटरनेट एक नेचुरल रिसोर्स है. अगर किसी नेचुरल रिसोर्स का समान बंटवारा नहीं होता है तो संविधान के अनुच्छेद 14 का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.
क्या है नेट न्यूट्रिलिटी?
नेट न्यूट्रिलिटी के मायने एक ऐसी व्यवस्था से है, जिसमें सबको नेट की बराबर सुविधा मिलेगी. इंटरनेट मुहैया कराने वाली कंपनी इसमें न किसी वेबसाइट या प्रॉडक्ट्स को बैन कर सकती है और ना ही सपोर्ट कर सकती है.